बकौल भाजपा,कांग्रेस के शहजादे, भाजपा नेताओं के पप्पू,कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर, समय-समय पर भाजपा ने बहुत हमले किए। भाजपा नेताओं ने उनके ऊपर बहुत कटाक्ष किए। मीडिया ने भी राहुल गांधी की छवि भाजपा की सोच के अनुरूप बनाने में बड़ा योगदान दिया।
राहुल गांधी के लिए यह एक अवसर बना। लगातार हमलों से वह मुकाबले में खड़े रहे। हर हमले में उन्होंने एक नई चीज सीखी। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव और राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर,1 सप्ताह तक मीडिया में हो हल्ला होता रहा। उसमें राहुल गांधी की चुप्पी बनी रही। भारत जोड़ो यात्रा के जरिए अपनी ताकत का एहसास करा दिया। जिसके कारण सारे कांग्रेसी नेताओं को एक मंच में आना पड़ा इससे कांग्रेस हाईकमान की साख बढ़ी। सचिन पायलट,अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह और अन्य नेता लगातार राहुल गांधी के संपर्क में बने रहे। लेकिन राहुल गांधी ने प्रत्यक्ष हस्तक्षेप ना करते हुए भी कांग्रेस नेताओं को गांधी परिवार की शक्ति का एहसास करा दिया। राहुल गांधी का आत्मविश्वास भारत जोड़ो यात्रा से बढ़ा है। बुजुर्ग नेताओं में राहुल गांधी के प्रति नया नजरिया बना है। अब बुजुर्ग कांग्रेस नेता यह कहने लगे हैं कि भाजपा का इतना दबाव नहीं पड़ा होता, तो राहुल इतनी जल्दी राजनीति के दांव पेंच नहीं सीख पाते।