हिंदू धर्म में पितरों की मुक्ति और उनका आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे उत्तम माना गया है. इस लिए इस दौरान परिजन अपने पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करते हैं. इससे पितरों की आत्मा तृप्ति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही वे अपने परिजनों को सुख-शांति और धन-संपत्ति में वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. पितरों की प्रसन्नता से कुंडली में पितृ दोष समाप्त हो जाता है. यदि किसी कारण वश पितृ पक्ष में आप अपने पितरों का विधि विधान से श्राद्ध ने कर पायें तो ऐसी दशा में कुछ इन उपायों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.
पितरों को मनाने और प्रसन्न करने के लिए करें कुछ खास उपाय
ब्राह्मण को कराएं भोजन
यदि आप पितृपक्ष में तिथि विशेष पर अपने पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध विधि पूर्वक न कर सकें हो तो इसके लिए परेशान न हों. इस स्थिति में सर्व पितृ अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को ससम्मान भोजन कराएं और उन्हें दान देकर विदा करें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं.
हाथ जोड़कर करें ये उपाय
पितृ पक्ष के दौरान यदि किसी ऐसी जगह पर हो जहां से पितरों का श्राद्ध कर्म न कर सकें या श्राद्ध कर्म करने के सारे सामान उपलब्ध न हों तो, आप दक्षिण दिशा में मुंह करके खड़े होकर अपने दोनों हाथ ऊपर उठायें और पितरों को याद करते हुए उनसे श्राद्ध कर्म न कर पाने के लिए माफ़ी मांगे. साथ ही उनसे परिजनों पर कृपा बनाए रखने के लिए प्रार्थना करें.
एक मुट्ठी घास के इस उपाय से पितृ होते हैं प्रसन्न
पितृपक्ष के दौरान यदि आप पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध न कर पाएं हों या फिर श्राद्ध करने के लिए सुयोग्य ब्राह्मण न मिले पाए. तो एक मुट्ठी घास लेकर किसी गाय को खिलाएं. यह कार्य नियमित रूप से करना चाहिए. इससे पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं.