डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)
रुद्र अपने पापा रवि से बोला कि मैंने तो हमेशा जन्मदिन का मतलब बर्थडे केक, पार्टी, मस्ती इत्यादि ही समझा है पर आज आपने जो सिखाया वह मुझे जीवनभर याद रहेगा। आज पापा का जन्मदिन है। आज सुबह पापा मुझे मंदिर में देव दर्शन कराने ले गए। भगवान के आशीर्वाद से ही हमें यह शरीर मिला है इसलिए हमने जो जीवन का सफर तय किया है उसके लिए सबसे पहले हमें ईश्वर के आगे नतमस्तक होना चाहिए। पापा ने समझाया कि जिस भगवान ने हमें दुनियाभर की खुशी दी है उसी के दिये हुए में से हमें कुछ प्रभु को अर्पण करना चाहिए या दान-पुण्य करना चाहिए। पापा मुझे समझाने लगे कि बचपन में तुम्हें हमेशा गिफ्ट का लालच रहता था, पर बेटा यह गिफ्ट कुछ क्षण भर की खुशी देते है। यह सच है की यह कुछ मीठी यादें जोड़ते है पर तुम्हें जीवन में भावनाओं के महत्व को समझना होगा। पापा ने समझाया कि बेटा हर नया साल हमारे जीवन में जुड़ता जा रहा है। इस अच्छे यादगार सफर को ही हम मिलजुलकर मनाते है क्योंकि जीवन खुशियों की पूँजी से ही समृद्ध होता है।
पापा जन्मदिन पर मुझे यह भी सिखाते है कि बेटा जीवन में मुस्कान कम मत होने देना। तुम्हारी मुस्कुराहट ही प्रत्येक परिस्थिति में तुम्हारी जीत निर्धारित करेगी। बेटा जीवन तभी सफल होता है जब तुम प्रयत्नों की ऊँचाई का महत्व समझोगे और हौसलों की उड़ान उड़ोगे। कभी भी दुनिया की आलोचना या विवेचना से भ्रमित मत होना। अपने निर्णय की तटस्थता ही तुम्हें जीत दिलाएगी। पापा ने कहा दुनिया के दिखावटी मुखौटे के पीछे की सच्चाई तुम्हें पहचाननी होगी। तुम्हें लोगों की दिखावे की दौड़ में शामिल नहीं होना है। तुम्हें हमेशा दूरगामी परिणामों को देखकर अपने निर्णय पर अडिग रहना है। जो रुपया तुम दुनिया के दिखावे में खर्च कर रहे हो उसे तुम्हें किसी अच्छे कर्म में लगाना चाहिए। तुम्हारी दी हुई पार्टियों को लोग समय के साथ भूल जाएंगे, पर तुम्हारे अच्छे कर्म तुम्हारी जमा पूँजी होगी। यह धनराशि अपने भविष्य की किसी महत्वपूर्ण जरूरत के लिए भी संग्रह कर सकते हो। पापा मंदिर में मुझे भगवान शिव और हनुमान का चरित्र भी समझा रहे थे। उन्होने कहा किस तरीके से यह भगवान अपनी सादगी, सरलता, कल्याण और उत्कृष्ट सेवा के कारण वंदनीय है। रुद्र को जन्मदिन की गहराई समझ में आ गई।
आज पापा का जन्मदिन है पर पापा ने मुझे मेरे जन्म लेने का ध्येय समझा दिया। अब जन्मदिन मेरे लिए पार्टी और केक तक सीमित नहीं है। धन्यवाद पापा कि आज आपने मुझे सच्चे अर्थों में जन्मदिन का मतलब समझाया। इस लघुकथा से यह शिक्षा मिलती है कि अपने बच्चों को उनके जन्मदिन पर ना सही कम से कम अपने जन्मदिन पर व्यावहारिक ज्ञान से जोड़े। जन्मदिन की छबि केवल पार्टी, मस्ती तक ही सीमित न हो। जन्मदिन में अच्छे कर्म की पूँजी भी संग्रह की जा सकती है। हमें बच्चों को दिखावे से दूर रहना भी सिखाना है जिससे भविष्य में वे सीमित संसाधनों के बीच भी अपने चेहरे पर से मुस्कान कम न होने दे।