मजदूरी करने आई थी महिला, अब बनेगी सरपंच
आक्या बिका में आदिवासी महिला निर्विरोध सरपंच
आक्या बिका में आदिवासी महिला निर्विरोध सरपंच
मंदसौर। पंचायत चुनावों की आरक्षण प्रणाली के चलते आक्या बिका गांव में आदिवासी महिलाओं को गांव के निर्विरोध प्रधान बनने का मौका मिला है। आदिवासी महिला मांगीबाई 30 साल पहले अपने परिवार के साथ मजदूरी करने आई थीं। गांव में मजदूरी मिलती रही तो यही रहकर मजदूरी करने लगे। गांव में आदिवासी सिर्फ यहीं परिवार है। पंचायत चुनाव में हुए आरक्षण से किस्मत बदली तो अब गांव की निर्विरोध प्रधान बनाने का मौका मिला है।मल्हारगढ विकासखंड के आक्याबिका और बांसखेड़ी गांव की ग्राम पंचायत आक्याबिका है। गांव की चार हजार आबादी में करीब डेढ़ हजार मतदाता है। पंचायत चुनाव के लिए वार्डों से 17 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। गांव में हर वर्ग के लोग है लेकिन आदिवासी वर्ग के एक ही परिवार है इसीलिए यहां आरक्षित एसटी की सीट पर मांगी बाई पति धन्नालाल का सिंगल नामांकन दाखिल हुआ है।
मजदूरी करने आया था परिवार
गांव में आदिवासी वर्ग से मांगीबाई अकेली महिला है। जिन्होंने सरपंच पद के लिए अपना सिंगल नामांकन दाखिल किया हैं। पति धन्नालाल ने बताया कि 30 साल पहले प्रदेश के राणापुर के उबेराप गांव से यहां अपने पिता के साथ मजदूरी करने आए थे तब वे छोटे थे। गांव में सरकारी स्कूल के बरामदे में रहते थे। स्कूल खुला तो पास में ही झोपड़ी बनाकर रहने लगे। गांव में पटेल के यहां हाली बनकर काम करते। उनके पशुओं को चराना खेती में मजदूरी करते।इसी दौरान पिता की मृत्यु हो गई, अब उनके परिवार में दो बेटे, एक बहु, पोता और एक बेटी है। गांव के पन्नालाल ने बताया कि स्कूल के पास झोपड़ी में रहते थे। बारिश में स्कूल के बरामदे में सोते थे। मैंने सहयोग कर रिशन कार्ड बनवाया, पति धन्ना को फुर्सत नहीं थी तो पत्नी को साथ लेकर गया आवेदन दिलवा कर दो बीघा सरकारी जमीन दिलवाई। उन्होंने कहा ये गांव चलाए, हम इन्हें कभी कोई परेशानी नहीं आए देंगे, पूरा गांव इनके साथ खड़ा है ।