(चंदेरी माधव एक्सप्रेस मोहम्मद अजीज )
हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक है हजरत मखदूम शाह बाबा
भारतीय पुरातत्व विभाग एवं मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के नक्शे पर वर्णित मध्य प्रदेश का हृदय स्थल चंदेरी नगर जो एक और हिंदू मुस्लिम सनातन सिख बुद्ध आदि धर्मों एवं संप्रदायों के सूफी संतों देवियों एवं ऋषि-मुनियों के भक्ति स्थल का केंद्र बिंदु रहा है वहीं दूसरी ओर महाभारत में वर्णित 16 महाजनपदों में से एक चंदेरी महाजनपद तथा सुप्रसिद्ध संगीत सम्राट तानसेन के प्रमुख प्रतिद्वंदी माने जाने वाले महान संगीत सम्राट बैजू बावरा की जन्म स्थली होने के साथ-साथ यहां हस्तकला कृती द्वारा निर्मित विश्व प्रसिद्ध चंदेरी साड़ी उद्योग नगरी के नाम से चंदेरी को आज विश्व भर में जाना पहचाना जाता है यहां आज भी विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों के लोग आपसी भाईचारे के साथ रहकर जीवन यापन कर रहे हैं इतिहास के पन्नों को यदि उलट कर देखते हैं तो इतिहास के पन्नों में पुरातात्विक लेखक अमीर खुर्द द्वारा लिखित पुस्तक सीरूल औलिया एवं अखबारूल अखयार नामक पुस्तक मैं चंदेरी के एक ऐसे महान सूफी संत का नाम मिलता है जो सैकड़ों वर्ष बीत जाने के बाद आज भी चंदेरी में हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक बने हुए हैं इतिहास के पन्नों पर हजरत शाह वजीहुद्दीन युसूफ मखदूम शाह विलायत रहमतुल्लाह अलैह का नाम मिलता है जो महान सूफी संत हजरत निजामुद्दीन औलिया रहमतुल्ला अलैह दिल्ली के चौथे खलीफा है हजरत मखदूम शाह बाबा 1304 ईस्वी में चंदेरी आए और अपने जीवन काल में यही रहकर मानव सेवा में लगे रहे हजरत मखदूम शाह बाबा के बारे में कहा जाता है कि आपके पास किसी भी प्रकार की दुख हो या बीमारी या परेशानी लेकर जब कोई व्यक्ति आता था तो आप उसे या रोगी के लिए एक चुटकी थोड़ी सी मिट्टी उठा कर देते थे जिससे लोगों को फायदा होता था हजरत मखदूम शाह विलायत की दरगाह आज भी श्रद्धालुओ के लिए अकीदत (श्रद्धा का केंद्र) है हजरत मखदूम शाह बाबा का उर्स 27 मार्च से 29 मार्च तक बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है आपके उर्स मे आसपास के जिलों भोपाल विदिशा रायसेन सागर ललितपुर ग्वालियर शिवपुरी दतिया झांसी टीकमगढ़ गुना मुंगावली अशोकनगर क्षेत्रों से हजारों की संख्या में आपके चाहने वाले सभी धर्मों के श्रद्धालु उपस्थित होकर अकीदत के फूल पेश करके अपनी अपनी मुरादे पाते हैं तथा सभी की भलाई के लिए दुआ करते हैं हजरत मखदूम शाह की दरगाह पर सभी धर्मों एवं संप्रदाय के लोग एकत्रित होते हैं इसलिए मखदूम शाह की दरगाह आज भी हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं कहा जाता है कि आपके साथ चंदेरी आने वालों में जो शिष्य लखनौती से आपके साथ आए थे वह हस्त कलाकृति हाथकरघा के द्वारा निर्मित उस दौर के राजा महाराजाओं की साफा और पगड़ी की बुनाई में बहुत ही माहिर थे इसी हस्त कला हाथकरघा द्वारा निर्मित साफा पगड़ी से आरंभ होने वाली कलाकृति आज वर्तमान में साड़ी उद्योग कुशन कवर पर्दा कुर्ता सलवार सूट जैसे हाथकरघा कपड़ा उद्योग के नाम से पूरे विश्व में अलग पहचान बनाए हुए हैं हजरत मखदूम शाह बाबा की दरगाह चंदेरी में राजघाट रोड पर स्थित है।(लेखक मोहम्मद अजीज दैनिक माधव एक्सप्रेस में समूह संपादक हैं)