निप्र, रतलाम (लखन पंवार) देश के केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को एक समारोह संबोधित करते हुए कहा कि दिल्ली से जयपुर के बीच भारत का पहला इलेक्ट्रिक राजमार्ग बनाना उनका सपना है.वही केंद्रीय मंत्री गडकरी द्वारा बताया गया कि मणिपुर, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में रोपवे केबल स्थापित करने के लिए सरकार को अब तक 47 प्रस्ताव मिले हैं. और मंत्रालय के पास काफी बजट है और बाजार भी इसे समर्थन देने के लिए तैयार है,वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2022-23 में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय के लिए 1.99 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इसमें से 1.34 लाख करोड़ रुपये भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) को आवंटित किए जाएंगे लेकिन इन्ही राज्यमार्ग के करीब से गुजरते राज्यों के जिले ओर ग्रामीण क़स्बे सड़कों के विकास कार्यों में बदहाली बया कर रहे हैं जो मध्यप्रदेश राज्य में देखी जा सकती है , जहाँ मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में राज्यमार्ग दिल्ली मुम्बई नेशनल हाइवे अपनी सौगात तो रखने जा रहा है लेकिन हाईवे से जुड़ी सड़कों के हालत कहि गड्डो तो कहि स्ट्रीट लाइट की कमी तो कहि अंधे मोड़ो पर सिग्नल की कमी के चलते सड़कें मोत की सौदागर बन अपनी कमियां सड़क परिवहन द्वारा जनता की जान जोखिम में होने का दृश्य बता रही है ,उज्जैन संभाग रतलाम से लेकर मंदसौर तक सड़के व उज्जैन से लेकर नागदा मंदसौर तक कई अंधे मोड़ों व चौराहों पर यातायात सिग्नल नही होने व एमपीआरडीसी द्वारा रोड़ टेक्स भी वसूलने पर भी सर्विस लेन पर क्षतिग्रस्त सड़कों पर कोई ध्यान नही देने की क़वायद बया कर रही है,वर्तमान में रतलाम जिले में बढ़ते सड़क हादसे इसका सबूत है, जहाँ लेबड़ -जावरा-नयागांव महू फोरलेन पर अर्नियापीथा जाते समय ट्रक ओर ट्रैक्टर ट्रॉली भिड़त में दो किसानों की जान चली गई ,पर उस घटना के लापरवाही के जवाबदेही की जिम्मेदारी कोई नही ले पाया ,नियमों की पहुच से दूर जनता सिर्फ यातायात के क़ानूल उल्लंघन के चालन कार्यवाही में ही सीमित रह जाती है,वही सड़कों पर यातायात नियमों की अनदेखी ओर मोत का तांडव करती अंधियारी सड़कों की काली परछाई भरी सड़को के अंधे मोड़ों पर स्ट्रीट लाईट व सिग्नल की आवाज क्यों क्षेत्रीय सांसद, विधायक द्वारा मंत्रालय तक नही पहुँच पाती सत्ता व विपक्ष के नेता सिर्फ सड़क हादसों पर शोक सवेंदना व्यक्त करते नजर आते है लेकिन अपनी नाकामियों ओर कमियों को बता नही पाते,आखिर कौन सड़कों पर मौत की सोदाग़री का है ज़िमेदार शासन प्रशासन या स्वयं जनता?