
दलहन-तिलहन की ओर रुझान, आय संवर्धन की नई राह
रायपुर, 31 दिसंबर 2025
जल संरक्षण, फसल विविधीकरण और किसान आय वृद्धि के क्षेत्र मंय उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के सुनियोजित प्रयासों से परंपरागत फसल चक्र से आगे बढ़ते हुए कम जल उपयोग वाली एवं अधिक लाभकारी रबी फसलों को बढ़ावा दिया गया, जिसके उत्साहजनक परिणाम अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहे हैं।
रबी वर्ष 2025-26 में धमतरी जिले में ग्रीष्मकालीन धान की खेती में अत्यधिक जल उपयोग को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2024-25 में 24,200 हेक्टेयर क्षेत्र में की जा रही खेती को रबी वर्ष 2025-26 में घटाकर 15,000 हेक्टेयर तक लाने की ठोस कार्ययोजना तैयार की गई। इससे न केवल भू-जल संरक्षण को बल मिला, बल्कि किसानों को वैकल्पिक और लाभकारी फसलों की ओर भी प्रेरणा मिली।
275 एकड़ में मूंगफली की खेती
फसल चक्र परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव मूंगफली उत्पादन में विशेष रूप से देखने को मिला है। जहां गत वर्ष मात्र 10 एकड़ क्षेत्र में मूंगफली की खेती होती थी, वहीं इस वर्ष विकासखंड मगरलोड के बुढ़ेनी क्लस्टर में 275 एकड़ में मूंगफली की खेती की जा रही है। यह परिवर्तन किसानों की सोच में आए भरोसेमंद बदलाव को दर्शाता है।
इस वर्ष 699 एकड़ क्षेत्र में मक्का बोनी
इसी तरह मक्का उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। गत वर्ष 430 हेक्टेयर में मक्का की खेती के मुकाबले इस वर्ष 699 एकड़ क्षेत्र में मक्का बोया गया है। विकासखंड नगरी के गट्टासिल्ली, बोराई और उमरगांव क्लस्टर मक्का उत्पादन के प्रमुख केंद्र बनकर उभरे हैं।
चना का रकबा इस वर्ष बढ़कर 16,189 हेक्टेयर
चना उत्पादन में भी जिले ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। पिछले वर्ष 15,830 हेक्टेयर में बोए गए चना का रकबा इस वर्ष बढ़कर 16,189 हेक्टेयर हो गया है। विकासखंड कुरूद और धमतरी में 600 से 1200 हेक्टेयर के बड़े चना कलस्टरों के विकास से उत्पादन के साथ-साथ विपणन की संभावनाएं भी सुदृढ़ हुई हैं।
4,660 हेक्टेयर में दलहन- तिलहन की खेती
दलहन-तिलहन को बढ़ावा देने के तहत सरसों का रकबा 2,590 हेक्टेयर से बढ़कर 4,660 हेक्टेयर तथा मसूर का क्षेत्र 50 हेक्टेयर से बढ़कर 211 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। वहीं लघु धान्य फसलों में रागी का रकबा 10 हेक्टेयर से बढ़कर 150 हेक्टेयर होना जिले की दूरदर्शी कृषि नीति का प्रमाण है।
समग्र रूप से रबी वर्ष 2025-26 में धमतरी जिले ने संतुलित खेती, जल संरक्षण और किसान हितैषी नीतियों के माध्यम से कृषि विकास की एक प्रेरणादायी मिसाल प्रस्तुत की है, जो आने वाले वर्षों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होगी।
