15 सालों में रणवीर सिंह ने इंडस्ट्री को कई यादगार किरदार दिए हैं। हर रोल में वो खुद को पूरी तरह बदल देते हैं, शरीर से, दिमाग से और दिल से और इसी में साबित होता है कि आज की पीढ़ी में वो सबसे बेहतरीन एक्टर क्यों माने जाते हैं। धुरंधर दिल जीत रही है और रणवीर के 15 साल पूरे हो रहे हैं, तो चलिए उन आइकॉनिक किरदारों को एक बार फिर याद करते हैं जिन्होंने उनकी यह खास यात्रा बनाई है
बिट्टू शर्मा — बैंड बाजा बारात
रणवीर सिंह की शुरुआत ही एक नई, बेखौफ़ एनर्जी लेकर आई थी। बिट्टू के रूप में वो एक मिडिल-क्लास दिल्ली बॉय बने, जो सपनों के पीछे पूरे कॉन्फिडेंस और दिल से भागता है। उसकी केमिस्ट्री, उसका यूथफुलनेस और उसका रॉ टैलेंट देखते ही दर्शक उनके लिए चीयर करने लगे। तो उसी पल साफ हो गया था कि ये सिर्फ नए एक्टर नहीं बल्कि ये गेम-चेंजर है।
*राम — गोलियों की रासलीला राम-लीला*
जज़्बाती, गुस्से वाला और रोमांटिक, राम के किरदार ने रणवीर की जबरदस्त स्टार पहचान दिखा दी। उन्होंने प्यार और दर्द दोनों को एक साथ बहुत आसानी से निभाया। कभी हंसी, कभी दिल टूटने का एहसास… सब कुछ इतने सच्चे ढंग से कि नज़र हटाना मुश्किल हो गया। इस फिल्म ने साफ कर दिया कि रणवीर बॉक्स ऑफिस पर बड़ा धमाका करने वाले स्टार हैं। उनकी और दीपिका पादुकोण की जोड़ी उस समय अपने आप में एक बड़ा चर्चित पल बन गई थी।
*वरुण श्रीवास्तव — लूटेरा*
एक किरदार जो अंदर ही अंदर दर्द सँभाले हुए था। रणवीर की इस बारीक अदाकारी में आँखों की भाषा, संयमित भाव, और धीमा-सा टूटापन सब साफ दिखाई देता है। यह रोल उनके बड़े स्टार बनने से पहले ही साबित कर चुका था कि रणवीर में बहुत अलग और गहरी एक्टिंग की क्षमता है। यह किरदार आज भी उनके सबसे कलात्मक और दिल छू लेने वाले रोल्स में गिना जाता है।
*पेशवा बाजीराव — बाजीराव मस्तानी*
यह एक ऐसा किरदार था, जिसमें ज़बरदस्त ताकत और गहरी नर्मी दोनों बराबर चाहिए थे। रणवीर ने मराठी लहजा सीखा, अपने लुक और बॉडी में बड़ा बदलाव किया और एक ऐसे योद्धा का दिल दिखाया जो फ़र्ज़ और मोहब्बत के बीच बंटा हुआ था। उनके अभिनय में शान भी थी, जज़्बात भी, और यही परतें साबित करती हैं कि रणवीर सिंह किसी भी ऊँचाई को छूने का दम रखते हैं।
*अलाउद्दीन खिलजी — पद्मावत*
बिना किसी लगाम। बेहद ख़ूँख़ार। नज़रें हटें तो भी असर बाकी। रणवीर ने इस विलेन को डरावनी सच्चाई के साथ जिया कोई बनावटीपन नहीं, बल्कि अंदर से टूटा-मरोड़ा हुआ शख्स। उनका चलना-फिरना, काली हँसी, और तीखी नज़रें सबने खिलजी को एक सिनेमा का तूफ़ान बना दिया। यही किरदार रणवीर के करियर में बड़ा मोड़ लेकर आया और दिखा दिया कि विलेन भी दिल और दिमाग़ से खेले जाते हैं।
*सिंबा — सिंबा*
पूरी तरह से मनोरंजन से भरा किरदार। रणवीर ने कॉमेडी, स्टाइल, थोड़ी शरारत और दिल छू लेने वाली भावनाओं सबका बैलेंस एकदम सही रखा। एक बिगड़ा हुआ पुलिसवाला कैसे लोगों का रक्षक बनता है, इसे उन्होंने मज़ेदार अंदाज़ में लेकिन पूरे दिल से दिखाया। यही वजह है कि सिंबा बना एक मास-हीरो जो हँसाता भी है और सही के लिए लड़ता भी है।
*मुराद — गली बॉय*
इस किरदार में रणवीर ने चुप्पी, आँखों और अल्फ़ाज़ से एक्टिंग कर दिखाई। उन्होंने सिर्फ़ अभिनय नहीं किया, बल्कि एक साधारण लड़के के सपने सचमुच महसूस किए। उन्होंने रैप सीखा, लिखा और पूरे किरदार को जीकर दिखाया। मुराद की भूख, प्यार, गुस्सा, और सपने हर एहसास रणवीर ने इतने सच्चेपन से दिखाया कि यह किरदार इस दशक के सबसे दिल छू लेने वाले रोल्स में शामिल हो गया।
*रॉकी रंधावा — रॉकी ऑर रानी की प्रेम कहानी*
दमदार, स्टाइलिश, प्यारा इस रोल में रणवीर ने मर्दानगी को एक नए नज़रिए से दिखाया। चमक–दमक, फैशन और मज़ाक के पीछे उन्होंने दिल की सच्ची तकलीफ़ और प्यार को उतनी ही मजबूती से उतारा। रॉकी की सफ़र ने लोगों को हँसाया भी, रुलाया भी, और उसके लिए तालियाँ भी बजवाईं, यही साबित करता है कि रणवीर की अदाकारी और मौजूदगी दोनों का कोई मुकाबला नहीं।
*हमजा अली मजारी/जसकीरत सिंह रंगी — धुरंधर*
खामोशी में ताक़त… रणवीर यहाँ ऊँची आवाज़ पर नहीं, बल्कि चुप्पी, सयंम और आँखों में छुपी आग से असर छोड़ते हैं। उनकी नज़रें ही दर्द, ग़ुस्सा और जीने की जंग की पूरी दास्तान कह देती हैं। धुरंधर के साथ उनकी अदाकारी और भी पकी हुई, संभली हुई और सीधे दिल पर असर करने वाली दिखती है, यही इस नए चैप्टर की सबसे बड़ी जीत है।
