जगदलपुर, 20 अगस्त । बस्तर दशहरा में मां दंतेश्वरी के छात्र को लेकर रथारूढ़ होने
का ख्वाब देखकर बस्तर राज परिवार के अनेक सदस्याें ने
समय-समय पर इसके लिए प्रयास करते रहे हैं, जिसे बस्तर की जनता सहित आदिवासी
समाज इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया, जिसका कारण यह है कि जनमानस स्व. प्रवीर चंद्र भंजदेव काे अंतिम बस्तर महाराजा मानता है ।इसी कड़ी में पुन: राजपरिवार सदस्याें के द्वारा 10 अगस्त काे बस्तर दशहरा की परंपराओं शामिल हाेने वालाें के साथ एक बैठक आहूत कर उसे बस्तर का आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्वकर्ता बताते हुए बस्तर सांसद महेश कश्यप पदेन अध्यक्ष बस्तर दशहरा महापर्व समिति काे ज्ञापन प्रेषित किया है ।ज्ञापन में बस्तर दशहरा महापर्व में राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव एवं उनकी पत्नि के नाम का उल्लेख नही करते हुए वर्तमान महाराजा-महारानी को पुनः रथारूढ़ करने व ऐतिहासिक मुरिया दरबार में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किए जाने की मांग रख दी है।
उल्लेखनीय है कि बस्तर की जनभावनाओं एवं देश की आजादी के बाद राजपिरवार के आपसी वैमनस्यता काे देखते हुए तत्कालीन बस्तर कलेक्टराें ने राज परिवार
के किसी भी सदस्य को मां दंतेश्वरी के छात्र को लेकर रथारूढ़ होने पर रोक
लगाकर उसके स्थान पर मां दंतेश्वरी के मुख्य पुजारी को दंतेश्वरी के छात्र को लेकर
रथारूढ़ होने का आदेश प्रदान किया गया, जो अनवरत लगभग 57 वर्षों से यह परंपरा जारी है।
ज्ञात हो कि हाे कि महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की हत्या के पश्चात वर्ष १9६७ से राजपरिवार की भागीदारी एवं प्रतिनिधित्व बस्तर दशहरा पर्व में कभी नहीं रही। चूंकि
बस्तर के अंतिम महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव निःसंतान थे । उन्होंने न किसी को गोद लिया न ही किसी
को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। वर्तमान में भी प्रवीर चंद्र भंजदेव का कोई वैद्यानिक उत्तराधिकारी नहीं है । वहीं अंतिम बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव के जीवन काल में षड़यंत्र के तहत प्रवीर काे पागल घाेषित कर उसके छाेटे भाई विजय चंद्र भंजदेव काे तत्कालीन सरकार ने बस्तर महाराजा घाेषित कर बस्तर की जनता के सामने प्रस्तुत किया जिसे नकार दिया गया। परिणाम स्वरूप लाेहंडीगुड़ा गाेलीकांड की घटना तक घटित हुई, जिसमें दाे दर्जन से अधिक आदिवासी पुलिस की गाेली का शिकार हुए। वर्तमान राजपरिवार के सदस्य विजय चंद्र भंजदेव के वारिस हैं।
मां दंतेश्वरी के मुख्य पुजारीकृष्ण कुमार पाढ़ी ने आज बुधवार काे बताया कि बस्तर महाराजा प्रवीर चंद्र भंजदेव की हत्या के बाद राजपरिवार के सदस्याें के द्वारा बस्तर दशहरा में मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ रथारूढ हाेने के लिए इससे पहले भी प्रयास करते रहे हैं। बस्तर दशहरा में
मां दंतेश्वरी के छत्र को लेकर रथारूढ़ होने के लिए राजपरिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव वर्ष 2000 से अनवरत प्रयासरत हैं। वर्ष २००० में तत्कालीन बस्तर कलेक्टर प्रवीर कृष्ण ने दशहरा पर्व को लोकोत्सव की संज्ञा देकर सामंतशाही को इससे दूर रखकर राजपरिवार सदस्याें को केवल साधारण नागरिक की हैसियत से बस्तर दशहरा में सम्मिलित होने की सलाह दी थी।
