
रायपुर, 8 अप्रैल।छत्तीसगढ़ में समायोजन की मांग कर रहे हड़ताली बर्खास्त शिक्षकों के समर्थन में वरिष्ठ भाजपा नेता और रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखा है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर शिक्षकों के समायोजन की मांग की है।उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-21, राज्य सरकार को दायित्व सौंपता है कि राज्य में किसी भी व्यक्ति का जीवन संकट में नहीं पड़ना चाहिए, 2621 बीएड डिग्रीधारी नियमित सहायक शिक्षकों को बर्खास्त कर देने से इनके परिवारों का जीवन संकट में पड़ गया है।सांसद बृजमोहन ने मांग की है कि प्रदेश में बड़ी संख्या में रिक्त पड़े मिडिल स्कूलों एवं हाई स्कूलों में प्रयोगशाला सहायक के समकक्ष पदों पर बर्खास्त शिक्षकों को योग्यतानुसार समायोजित किया जाए।
बृजमोहन अग्रवाल ने आपने आज सार्वजनिक किये गए पत्र में उल्लेख किया कि मई 2023 को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा टी-संवर्ग के 5492 व ई-संवर्ग के 793 कुल लगभग 6285 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था।नोटिफिकेशन में तत्कालीन नियमों एवं प्रावधानों के तहत् योग्यता बीएड और डीएड दोनों को रखा गया था, जिसके आधार पर आवेदन आमंत्रित किए गए। सभी प्रावधानों को पूरा कर चयन प्रक्रिया पूर्ण होने के उपरांत योग्यताधारी सहायक शिक्षकों की भर्ती की गई।जिसमें से छत्तीसगढ़ के दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में शासकीय सेवा कर रहे लगभग 2621 शिक्षकों को 16 माह की नौकरी करने के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। ये सभी बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षक मध्यम वर्गीय, बीपीएल परिवार के ही बच्चे हैं। नौकरी से निकालने के बाद इन सबका भविष्य दांव पर लगा हुआ है।
सांसद ने अपने पत्र में कहा है कि कहा कि रोजगार छिनने से परिवार पर रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। निकाले गए सभी सहायक शिक्षक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहे थे। शासकीय नौकरी मिल जाने के कारण इन सबने अपनी तैयारी छोड़ दी और अब नौकरी से बर्खास्त भी हो गए है।
तकनीकी त्रुटि के कारण शासकीय नौकरी से बर्खास्त किए गए इन युवाओं के परिवारों को भारी संकट से गुजरना पड़ रहा है और इन परिवारों के समक्ष जीवन-मरण का प्रश्न उपस्थित हो चुका है। नौकरी से निकाले गए सहायक शिक्षक लगातार शिक्षा विभाग मे सहायक शिक्षक के समकक्ष पदों पर समायोजित करने के लिए लंबे समय से आंदोलनरत् है।
पूर्व मंत्री ने कहा कि शासन, प्रशासन एवं सरकार में बैठे जनप्रतिनिधियों ने भी समय-समय पर इनके प्रकरण पर इन्हें गंभीरता पूर्वक विचार करने व समायोजित करने का आश्वासन भी दिया है। उसके उपरांत भी इस विषय पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।