
नई दिल्ली, 5 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके के बीच शुक्रवार को कोलंबो में द्विपक्षीय वार्ता के बाद दोनों देशों ने पहली बार एक महत्वाकांक्षी रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों पक्ष त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते में भी शामिल हुए हैं। कुल मिलाकर दोनों पक्षों ने आज सात प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति दिसानायके के साथ प्रेस मीट को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-श्रीलंका के सुरक्षा हित समान हैं। दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से जुड़ी है और एक-दूसरे पर निर्भर है। उन्होंने कहा, “मैं भारत के हितों के प्रति राष्ट्रपति दिसानायके की संवेदनाओं के लिए उनका आभारी हूं। हम रक्षा सहयोग में किये गए महत्वपूर्ण समझौतों का स्वागत करते हैं।”
उन्होंने कहा कि हम कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन और हिन्द महासागर में सुरक्षा सहयोग पर भी मिलकर काम करने के लिए सहमत हैं।
वहीं राष्ट्रपति दिसानायके ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपनी भूमि का उपयोग भारत के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल किसी भी तरीके से नहीं होने देगा। दिसानायके ने कहा कि उन्होंने मोदी को यह भी बताया कि जरूरत के समय श्रीलंका को दी गई भारत की सहायता और निरंतर एकजुटता उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति दिसानायके ने वर्चुअल माध्यम से सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना और पूरे श्रीलंका में 5000 धार्मिक संस्थानों के लिए सौर छत प्रणालियों की आपूर्ति का शुभारंभ किया।
मोदी ने कहा कि सामपुर सौर ऊर्जा संयंत्र से श्रीलंका की ऊर्जा सुरक्षा में मदद मिलेगी। बहु-उत्पाद पाइपलाइन के निर्माण और त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए किए गए समझौतों से श्रीलंका के सभी लोगों को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच ग्रिड अंतर-संपर्क समझौते से श्रीलंका के लिए बिजली निर्यात के विकल्प खुलेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की पड़ोसी प्रथम नीति और विजन महासागर में श्रीलंका का विशेष स्थान है। उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में, राष्ट्रपति दिसानायके की भारत यात्रा के बाद से हमारे सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।