बिलासपुर, 10 जनवरी । छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने प्रदेश के पावर प्लांट में नियमों का उल्लंघन करने और मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ किए जाने को लेकर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र कुमार अग्रवाल डिवीजन बेंच में शुक्रवार को इस मामले में लगाई गई जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें पिछली सुनवाई के दौरान दिए आदेश के परिपालन में प्रदेश सरकार ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसके आधार पर 68 पावर प्लांट में फैक्ट्री एक्ट का उल्लंघन किया जाना पाया गया। वहीं इन पर 2024 में केस दर्ज किया गया है। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई कि सुप्रीम कोर्ट के 31 जनवरी 2014 के आदेश के बावजूद 11 साल में कोई सुधार नहीं किया गया और अब केस दर्ज किया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की थी जिसमें प्रतीक शर्मा, अदिति सिंघवी और अन्य ने अपनी रिपोर्ट पेश की। जिसमें कुछ पावर प्लांट में काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच प्राइवेट डायग्नोसिस सेंटर में कराई गई, जिनकी रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए गए थे। कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताई और कहा कि लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है ? प्रदेश सरकार का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने बताया कि इस पूरे मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई है और फैक्ट्री एक्ट का उल्लंघन करने वालों पर केस दर्ज करने की कार्रवाई की है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत की मौजूदगी नहीं होने पर शासन का पक्ष रखने सोमवार का समय दिया है। वहीं अगली सुनवाई सोमवार 13 जनवरी 2025 को निर्धारित की गई है।
पिछली सुनवाई में अपर महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कहा था कि न्यायालय के 15 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुपालन में निरीक्षण पहले ही किया जा चुका है और रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है और इसके अलावा बिजली संयंत्रों की ओर से कुछ खामियां पाई गई है, जिसके लिए मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं उन्होंने उक्त रिपोर्ट दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था। जिसपर सुनवाई 10 जनवरी 2025 को फिर से सूचीबद्ध की गई थी।