MADHYA PRADESH/ मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार का एक वर्ष पूरा हो गया है। दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने अर्चिस मोहन और संजीव मुखर्जी से बातचीत की। प्रमुख अंश:
एक साल के कार्यकाल में आपकी सरकार की क्या-क्या उपलब्धियां रहीं?
एक साल के भीतर हमारा पूरा जोर राज्य के प्रशासनिक ढांचे और सरकारी कामकाज में सुधार कर बेहतर कार्यसंस्कृति विकसित करने पर रहा। इसके अलावा, देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में मध्य प्रदेश का योगदान बढ़ाने के उद्देश्य से हमने अपने शासन के शुरुआती साल में राज्य का बजट 3.25 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर अगले पांच साल में 7 लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हम चरणबद्ध तरीके से अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे और इसके लिए हमने वार्षिक लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इन्हें हासिल करने के लिए सरकार अपने गैर जरूरी खर्चों में कटौती करेगी, जिससे राज्य की आय बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही, इससे समग्र वृद्धि का रास्ता भी साफ होगा। शपथ लेने के कुछ दिन के भीतर ही मैंने ऊर्जा समेत कई क्षेत्रों में सुधार के लिए कदम उठाए हैं। मौजूदा समय में हम किसानों को वार्षिक स्तर पर 15,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देते हैं, जो उनकी पूरी बिजली खपत की 93 प्रतिशत होती है। यदि सरकार ने हस्तक्षेप नहीं किया तो यह बोझ हर साल बढ़ता जाएगा। इससे निपटने के लिए हम अगले तीन साल में बिजली सब्सिडी को शून्य स्तर पर लाना चाहते हैं। विकल्प के तौर पर सरकार किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए वित्तीय सहायता देगी, जिससे वे ऊर्जा के मामले में न केवल आत्मनिर्भर होंगे बल्कि फालतू बिजली सरकार को बेच सकेंगे। सरकार शहरी उपभोक्ताओं और किसानों को साधने की दोहरी रणनीति पर चल रही है। दोनों तरह के उपभोक्ताओं को वार्षिक स्तर पर कुल मिलाकर 25,000 से 26,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है, जिसे हम खत्म करना चाहते हैं।
क्या इसका अर्थ यह लगाया जाए कि सरकार शुल्क में वृद्धि करेगी?
नहीं, नहीं…सरकार ऐसा कोई कदम उठाने नहीं जा रही।
तो क्या स्लैब को पुनर्व्यवस्थित कर रास्ता निकाला जाएगा?
हां, ऐसा किया जा सकता है, लेकिन इस पर भी अभी अमल नहीं किया जाएगा। कुछ समय के बाद जरूर इस तरफ बढ़ सकते हैं।
सीएम लाडली बहना योजना सरकार के खजाने पर बोझ बन गई है?
हमने राज्य सरकार के प्रत्येक विभाग को होने वाले नुकसान का आकलन किया है। जैसे ऊर्जा सब्सिडी में ही 25,000 करोड़ रुपये जा रहे हैं। लाडली बहना योजना को लेकर कोई विरोध नहीं दिखता है। इस साल जनवरी से लेकर अब तक हम इस योजना के तहत 1.29 करोड़ लाभार्थियों को 19,000 करोड़ रुपये जारी कर चुके हैं। इसलिए हमारा मानना है कि यदि हम अन्य मदों से सरकार की आय बढ़ाने में कामयाब हो जाते हैं तो इस प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं बोझ नहीं बनेंगी। हम इन सामाजिक कल्याण की योजनाओं को बंद नहीं करेंगे, बल्कि गैर जरूरी खर्चों पर अंकुश लगाने एवं आय बढ़ाने के रास्ते तलाश रहे हैं। उदाहरण के लिए हमने निजी क्षेत्र को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए कहा है। इन कॉलेजों का खर्च वे छात्रों से मिलने वाली फीस से पूरा करेंगे और 300 बेड का अस्पताल भी बनाएंगे, जिसे वे 10 वर्ष संचालित करने के बाद सरकार को सौंप देंगे। इसके लिए हम उन्हें मुफ्त जमीन दे रहे हैं। इसका नतीजा यह रहा कि वर्ष 2003-04 में राज्य में केवल 5 मेडिकल कॉलेज थे, दो दशक बाद इनकी संख्या बढ़कर 30 हो गई है। इनमें 17 सरकारी और 13 प्राइवेट हैं। यही नहीं, इस दौरान स्नातक स्तर पर मेडिकल सीट की संख्या 400 से बढ़कर 5,000 हो गई है। आठ मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं तथा 14 कॉलेज पीपीपी मॉडल के तहत बन रहे हैं। इस तरह एक साल के भीतर राज्य में हम दो दर्जन मेडिकल कॉलेज और शुरू कर देंगे। खास यह कि इस पर करदाताओं का बहुत कम पैसा खर्च होगा और राज्य में मेडिकल सीट बढ़कर 10,000 हो जाएगी।
सरकार वैश्विक निवेश सम्मेलन आयोजित करने की भी योजना बना रही है। हाल ही में आपने ब्रिटेन और जर्मनी का दौरा किया है?
हमने क्षेत्रीय सम्मेलनों का आयोजन शुरू किया है और वैश्विक निवेश सम्मेलन भी आयोजित करने जा रहे हैं। सरकार खनन समेत हर औद्योगिक क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने का प्रयास कर रही है। खनन क्षेत्र ने देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीता है। हमारी योजना राज्य बजट में खनन क्षेत्र की हिस्सेदारी 13,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने की है। इसी प्रकार हम राज्य में दूध उत्पादन 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। इससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
लेकिन, मध्य प्रदेश का ऋण भार इस समय 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो रहा है?
नहीं, नहीं…आप इसे दूसरे नजरिए से देखिए। मध्य प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 1,45,000 रुपये प्रति वर्ष है। यह राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। वर्ष 2003 में यह मात्र 7,500 रुपये ही थी। इससे पता चलता है कि हमारी प्रति व्यक्ति आय लगातार बढ़ी है। हमारा वित्तीय घाटा भी केंद्र सरकार के राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के मानदंडों से कम है। हमारा उद्देश्य राज्य की आय में वृद्धि, बेहतर प्रशासन देना और औद्योगिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना है। पिछले एक साल में 3 महीनों की चुनाव आचार संहिता को छोड़ दें तो शेष 9 महीनों में हमें ऊर्जा, पर्यटन, भारी उद्योग, सूचना एवं प्रौद्योगिकी, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्रों में 4 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इतने भारी-भरकम निवेश से राज्य में 3,00,000 नौकरियां पैदा होंगी। हमने 2025 को औद्योगिक वर्ष घोषित किया है। इसके लिए हमने त्रिस्तरीय रणनीति बुनी है, जिसमें राज्य में उद्योगपतियों को ज्यादा से ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्सोहित करना, पूरे देश से निवेशकों को आमंत्रित करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को भी आकर्षित करना शामिल है। हम उनकी कई स्तरों पर मदद कर रहे हैं।
डिजाइन और सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षेत्र में निवेश की क्या स्थिति है?
इसके लिए सरकार ने नीति बनाई है। ब्रिटेन यात्रा के दौरान हमें मध्य प्रदेश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण यूनिट स्थापित करने के लिए 25,000 करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले हैं।
नदी जोड़ो योजना में क्या प्रगति है?
मध्य प्रदेश देश में इकलौता राज्य है जहां नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं (उत्तर प्रदेश के साथ केन-बेतवा लिंक परियोजना और दूसरी राजस्थान के साथ पार्वती कालीसिंध चंबल लिंक परियोजना) पर काम चल रहा है।
सोयाबीन किसानों की शिकायत है कि उन्हें अपनी उपज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे?
सोयाबीन की खरीद जारी है और सरकार किसानों से उनकी उपज एमएसपी पर खरीद रही है। किसानों को खुले बाजार में बेहतर दाम मिल रहे हैं, इसलिए उन्होंने इस संबंध में सरकार से कोई शिकायत नहीं की है।
मध्य प्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग बनाने का उद्देश्य क्या है?
राज्य में नए जिले, तहसील और ब्लॉक आदि बनाने की मांग लगातार उठती रही है। इनमें से कई मांगें मान भी ली गईं, लेकिन उनकी भौगोलिक स्थिति एवं जनसंख्या की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। कई जिले ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या 40 लाख तक है तो कई ऐसे भी हैं जहां की आबादी केवल 5 लाख ही है। इसी प्रकार जिलों एवं ब्लॉकों के भौगोलिक क्षेत्रफल में भी बड़ी विषमता है। इससे प्रशासनिक कार्य करने में दिक्कतें पेश आती हैं। मध्य प्रदेश सरकार देश में ऐसी पहली सरकार है, जिसने इस दिशा में सोचा और जनसंख्या एवं क्षेत्रफल को तार्किक बनाने के लिए आयोग का गठन किया है।
अगले 4 साल में आपकी सरकार किन क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देगी?
नदी जोड़ो परियोजना, प्रशासनिक सुधार, मेडिकल कॉलेजों की स्थापना विभागों के लिए नई नीतियों का मसौदा बनाने जैसे क्षेत्रों में हम पहले ही काम शुरू कर चुके हैं। अगला कदम लोगों को सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण परिवहन सेवाएं देने के लिए सड़क परिवहन निगम की स्थापना करना है।
नई औद्योगिक नीति में भूमि अधिग्रहण को लेकर क्या नीति होगी?
हम निजी निवेश नीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए हमने गुजरात की नीति को काफी हद तक अपनाया है, जहां हम किसानों की जमीन अधिग्रहीत करते हैं और लैंडपूलिंग करते हैं, लेकिन लाभ में किसानों को भी हिस्सेदारी देते हैं