नई दिल्ली से पत्रकार उषा माहना की कलम से।
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की जयंती के उपलक्ष में राष्ट्रीय राजधानी में इज़ीस्पिट (EzySpit) का अनावरण किया गया है, जिसका उद्देश्य स्वच्छ भारत की मुहिम को आगे बढ़ाना है। कार्यक्रम में अभिनेता सुनील शेट्टी समेत अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थित दर्ज करवाई । शहर के अशोक रोड स्थित होटल शांगरी ला में आयोजित इस कार्यक्रम में इस इनोवेशन (अविष्कार) को देश को समर्पित गया. यह इनोवेशन एक क्रन्तिकारी उत्पाद है जो आपको कहीं भी कीटाणु फैलाने के डर के बिना थूकने की आजादी देता है। 7 साल के अध्ययन और परिश्रम से देश के तीन युवाओं द्वारा रितु मल्होत्रा,प्रतीक हरडे और प्रतीक कुमार मल्होत्रा द्वारा इस अनोखे इनोवेशन का निर्माण किया गया है। शुरुवाती दौर में यह इनोवेशन दिल्ली एनसीआर समेत बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, गुजरात, हरियाणा व पश्चिम बंगाल की मार्किट में उतारा जायेगा। इस स्टार्टअप का उद्देश्य सार्वजनिक जगह थूकने की बढ़ती समस्या पर अंकुश लगाने के लिए भारत मे इको-फ्रेंडली स्पिटून के उत्पाद के बारे में जागरूकता फैलाना है. यह अभियान मानव थूक के कचरे से पौधों को विकसित करने के विचार के साथ बनाया गया है।
इस अवसर पर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए इज़ीस्पिट (EzySpit) की को-फाउंडर रितु मल्होत्रा और उनकी टीम ने कहा, “हमें यकीन है कि यह सार्वजनिक जगह थूकने के धारणा को तोड़ देगा और इस अभियान का उद्देश्य व्यक्तियों के बीच खुले में थूकने से हतोत्साहित करना और बदले में इन पुन: प्रयोज्य स्पिटून के उपयोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। यह पॉकेट पाउच (10 से 15 बार पुन: प्रयोज्य), मोबाइल कंटेनर (20 ,30,40 बार पुन: प्रयोज्य) और स्पिटबिन (2000 से 5000 बार पुन: प्रयोज्य) में उपलब्ध है, इज़ीस्पिट स्पिटून में मैक्रोमोलेक्यूल पल्प तकनीक है और यह एक ऐसी सामग्री से लैस है जो लार में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को लाॅक करती है। हम 2015 से इस प्रोडक्ट को बनाने के लिए अध्यन कर रहे थे और आज हम इसे लेकर देश के सामने आये हैं। हमारा यह प्रयास स्वच्छ भारत और आत्मनिर्भर भारत को सफल बनाने का है। सबसे अनोखी बात इसकी पुरी मैन्युफैक्चरिंग महिलाओं की टीम संभाल रही है 24 महिलाओं की टीम इस विशेष इनोवेशन संभाल रही हैं. हमारा उद्देश्य मनुष्यों और प्रकृति के बीच संबंधों सुधारना है, और पारिस्थितिकी तंत्र में सुंदरता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है। इन्हीं चीजों पर ही हमारा अस्तित्व और स्वास्थ निर्भर हैं।“
सुनील शेट्टी ने भी इस मौके पर अपनी ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा, “100 % सुविधाजनक, संभव और टिकाऊ प्रोडक्ट बनाने के लिए निर्माताओं को बधाई। आशा करता हूँ की इससे समाज में एक क्रांति आएगी।”
जैसा की हम सभी जानते है की खुले में थूकने की आदत बहुत ख़राब होती है और इसके दाग धब्बों को साफ करना अपने आप में एक चुनौती है. अगर हम किसी भी सार्वजानिक स्थान पर थूकते हैं तो उसके कण 27 फीट तक हवा मे फैल सकते है. यह कीटाणु सभी उम्र के लोगों के लिए घातक है जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, गर्भवती महिलाऐं भी शामिल हैं. यही नहीं देश में टीबी जैसी बीमारी को फ़ैलाने में भी इन्हीं थूक से उत्पन्न कीटाणुओं का अहम योगदान है। वैश्विक महामारी कोविड-19 की पहली व दूसरी लहर के दौरान भी सार्वजानिक स्थानों में थूकना मना किया गया था ताकि वायरस का फैलाव को रोका जा सके। भारत में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत 2005 से सार्वजानिक स्थान में थूकने पर चालान है और इसकी राशि 200 से 5000 रूपए तक है।
भारतीय रेल हर साल थूकने के कारण बने दाग धब्बे व निशानों को साफ़ करने के लिए 1200 करोड़ रूपए और साथ में ढेर सारा पानी खर्च करती हैं। रेलवे स्टेशन के अलावा बस स्टैंड, हॉस्पिटल, बाज़ारों और कई अन्य सार्वजानिक स्थानों में भी थूक के धब्बे देखने को मिलते हैं । जिस तरह अनेक सार्वजानिक स्थानों में शौचालय, कूड़ा दान आदि की उचित व्यवस्था है उसी प्रकार थूकने की भी कोई उचित व्यवस्था होनी जरुरी है ताकि लोग किसी भी स्थान पर थूक न सकें और संक्रमण न फैले। । इसमें 20 या उससे अधिक बार थूका जा सकता है। थूकने पर यह उसे सोख लेते हैं और बाद में इसे मिटटी में डाल सकते हैं जहाँ पौधा भी उगाया जा सकता है। सफाई के साथ पौधारोपण के इस अनोखे इनोवेशन की तारीफ़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर रतन टाटा भी कर चुके हैं।
इज़ीस्पिट के बारे में
इज़ीस्पिट (EzySpit) एक नागपुर स्थित स्टार्टअप है जिसने एक ऐसा इनोवेशन लॉन्च किया है जो पर्यावरण के अनुकूल और डिस्पोजेबल है, और इसे आसानी से प्रयोग में लाया किया जा सकता है। इसका उद्देश्य देश को स्पिट फ्री बनाने का भी है. इज़ीस्पिट ऐसे स्पिटून प्रदान करता है जो डिस्पोजेबल ग्लास के रूप में और ज़िपलॉक के साथ पॉकेट पाउच के रूप में आते हैं। अंत में निपटाने से पहले इसे 30 बार पुन: उपयोग किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य कई वायरस जैसे कोरोनावायरस, टीबी, स्वाइन फ्लू, राइनोवायरस, फ्लू वायरस, एपस्टीन-बार वायरस आदि के प्रसार को रोकना है।
नई दिल्ली से पत्रकार उषा माहना की कलम से।