हरदा /भोपाल। संत आत्माराम बाबा, सिंगाजी महाराज, बुखार दास बाबा, रामदेव बाबा के सिद्ध समकालीन संत थे।
इनका जन्म हरदा जिले की के एक छोटे गांव अहलबाड़ा मे हुआ था। जो अब कृषि मंत्री एवं किसान नेता कमल पटेल की ससुराल है। संत आत्माराम बाबा ने नर्मदा किनारे नेमावर में महल घाट के पास जीवित समाधि ली थी।
प्रतिवर्ष शुक्ल एकादशी के दिन से लेकर चार दिन तक पूरे गांव में धार्मिक महोत्सव का माहौल रहता है। पहले दिन जन्मोत्सव शुरू होता है। इस दिन पताका जिसे निशान कहते हैं पूरे गांव के घर-घर दरवाजे पर पहुंचती है जिसे सभी लोग निशान को पूज्यते हुए निशान लेकर चल रहे व्यक्ति का विधिवत अभिषेक करते हैं।
प्रति वर्ष की भांति इस बार भी गांव के जमाई राजा कमल पटेल अपनी ससुराल पहुंचे और विधिवत पूजन अर्चन कर पूरे गांव में निशान लेकर चले और घर घर पहुंचते हुए निशान को पुजवाते हुए मंदिर पर पहुंचे और निशान को समर्पित कर आरती की। साथ ही चल रहे भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया।
वही गांव के किसान अंशुल पटेल बताते हैं कि संत आत्माराम बाबा के ऊपर लिखी गई पुस्तक के अनुसार यह प्रथा 1783 से चली आ रही है। जो आगे भी चलती रहेगी ।
वे बताते हैं कि गांव में चार दिन तक भंडारे के साथ-साथ भजन कीर्तन का आयोजन होता है। जिसमें हजारों की संख्या में साधु संत और क्षेत्र की जनता शामिल होती है।