राजनीति – Madhavexpress https://madhavexpress.com Wed, 11 Dec 2024 04:00:14 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://madhavexpress.com/wp-content/uploads/2023/03/IMG-20221108-WA0038-removebg-preview-1.png राजनीति – Madhavexpress https://madhavexpress.com 32 32 राशिफल : 11 दिसम्बर, 2024 https://madhavexpress.com/?p=46674 https://madhavexpress.com/?p=46674#respond Wed, 11 Dec 2024 04:00:14 +0000 https://madhavexpress.com/?p=46674 राशिफल : 11 दिसम्बर, 2024

मेष : लेन-देन में स्पष्टता बनाये रखें। घर के सदस्य मदद करेंगे और साथ ही आर्थिक बदहाली से भी मुक्ति मिलने लगेगी। कोई प्रिय वस्तु या नवीन वस्त्राभूषण प्राप्त होंगे। व्यापार व व्यवसाय में स्थिति उत्तम रहेगी। नौकरी में पदोन्नति की संभावना है। राजकीय कार्यों से लाभ। बिगड़ा कार्य बनेगा। शुभांक-3-6-8

वृष : आज की सुविधा कल नहीं मिल पायेगी, लाभ उठाएं। मित्रों से सावधान रहें तो ज्यादा उत्तम है। व्यापार में स्थिति नरम रहेगी। संतोष रखने से सफलता मिलेगी। नौकरी में स्थिति सामान्य ही रहेगी। शैक्षणिक क्षेत्र में उदासीनता रहेगी। शुभ कार्यों में व्यय होगा। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। शुभांक-4-6-8

मिथुन : अपना कार्य दूसरों के सहयोग से बना लेगें। मित्रों की उपेक्षा करना ठीक नहीं रहेगा। नौकरी के क्षेत्र में कुछ उलझनें रहेंगी। यश में वृद्धि व शिक्षा में परेशानी आ सकती है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। व्यापार में वृद्धि होगी। मेहमानों का आगमन होगा। पारिवारिक प्रेमभाव बढ़ेगा। शुभांक-3-5-7

कर्क : श्रेष्ठजनों की सहानुभूति मिलेगी। कारोबारी यात्रा सफल होगी। अच्छे कार्य के लिए रास्ते बना लेंगे। बुद्धि, बल व पराक्रम सफल होगा। व्यापार में वृद्धि व लाभ मिलेगा। कार्यक्षेत्र में संतोषजनक सफलता मिलेगी। आर्थिक हित के काम को साधने में मदद मिल जाएगी। शुभांक-2-4-6

सिंह : धार्मिक आस्थाएं फलीभूत होंगी। लाभ होगा और पुराने मित्रों से समागम भी होगा। संतान पक्ष की समस्या खत्म होगी। अपने काम पर नजर रखिए। स्वभाव में सौम्यता आपकी मदद करेगी। जीवन साथी से संबंधों में मिठास बढ़ेगी। परामर्श व परिस्थिति सभी का सहयोग मिलेगा। शुभांक-1-3-5

कन्या : समय नकारात्मक परिणाम देने वाला बन रहा है। पर प्रपंच में ना पड़कर अपने काम पर ध्यान दीजिए। नौकरी में सावधानीपूर्वक कार्य करें। विरोधियों के

सक्रिय होने की संभावना है। कारोबारी यात्रा को फिलहाल टालें। कारोबारी काम में बाधा बनी रहेगी। धन लाभ की संभावना। शुभांक-4-6-8

तुला : जो चल रहा है उसे सावधानीपूर्वक संभालें। मायूस न हो समय चक्र है। कारोबारी काम में बाधा उभरने से मानसिक अशांति बनी रहेगी। शत्रुभय, चिंता, संतान को कष्ट, अपव्यय के कारण बनेंगे। कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने में रुकावट का एहसास होगा। पारिवारिक परेशानी बढ़ेगी। धन लेन-देन में सतर्क रहें। शुभांक-5-7-9

वृश्चिक : परिवार में मांगलिक कार्यों का आयोजन होगा। वैवाहिक जीवन में प्रेम-प्रीति बढ़ेगी। जीवन साथी से संबंधों में मिठास बढ़ेगी। राजकीय सम्मान प्राप्त होने के योग हैं। शांतिपूर्वक कार्य करें, जान है तो जहान है। अत: वाहन आदि चलाने में सावधानी बरतें। अपना कार्य स्वयं करें, किसी के भरोसे न रहें। शुभांक-2-6-9

धनु : नये लोगों से मेल-मिलाप भविष्य में लाभदायक सिद्ध होगा। स्वयं पर विश्वास कार्यों की सिद्धि है। घर तथा व्यावसाय को एक-दूसरे से दूर ही रखें। व्यापारिक संबंधों में प्रगति के योग हैं। कार्य स्थल पर नियमपूर्वक व्यवहार लाभकारी होगा। कोई प्रिय वस्तु या नवीन वस्त्राभूषण प्राप्त होंगे। शुभांक-6-8-9

मकर : धन के लेन-देन में सतर्क रहें। बातचीत में संयम बरतें। मन में चंचलता बढ़ेगी। भावुकतावश निर्णय न लें। कर्ज देने से बचें। मानसिक व्यथा व संतान के कारण परेशानी होगी। माता-पिता के स्वास्थ्य में गिरावट से चिंता रहेगी। कला क्षेत्र के जातकों को मेहनत के बाद सफलता मिलेगी। शुभांक-4-7-9

कुंभ : सरकारी पक्ष से पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा। विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल रहेगा। पुराना विवाद समाप्त होगा। आर्थिक मजबूती हेतु मन केन्द्रित होगा। मिल रहे अवसरों का लाभ उठाएं। आर्थिक योजनाएं फलित होंगी। स्त्री, संतान, मित्र के साथ मनोविनोद बढ़ेंगे। बकाया धन की प्राप्ति के योग हैं। शुभांक-3-6-9

मीन : आय के नये स्त्रोत बनेंगे। पद-प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए कुछ सामाजिक कार्य संपन्न होंगे। पसंदीदा भोज्य पदार्थों की प्राप्ति होगी। लम्बे प्रवास व चुनौती पूर्ण कार्यों का सामना हो सकता है। व्यवसायिक क्षेत्र में आपकी मेहनत व लगन की परीक्षा होगी। महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति होगी। शुभांक-2-4-7

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=46674 0
दिल्ली की सभी सीटों पर भारतीय संपूर्ण क्रांतिकारी पार्टी लड़ेगी चुनाव https://madhavexpress.com/?p=42021 https://madhavexpress.com/?p=42021#respond Fri, 13 Sep 2024 19:49:36 +0000 https://madhavexpress.com/?p=42021 नई दिल्ली(माधव एक्सप्रेस/ उषा माहना )
जम्मू कश्मीर व हरियाणा की सभी सीटों पर पार्टी अपने सहयोगियों के साथ लड़ रही है चुनाव भारतीय संपूर्ण क्रांतिकारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जोगिंन्द्र सिंह भदौरिया ने प्रेस वार्ता में कहा कि दिल्ली की सभी 70 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया चल रही है और पार्टी के संसदीय दल उम्मीदवारों की सूची बना रहे हैं। हालांकि उन्होंने समान विचार धारा वाली पार्टियों के लिए अपनी पार्टी के दरवाजे खुले रखने से इंकार नहीं किया। दिल्ली देश की राजधानी है और यहां उनकी पार्टी मुस्तैदी से चुनाव लड़ने के लिए रणनीति बना रही है।
भदौरिया ने शनिवार को कहा कि जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा में समान विचार धारा वाली पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा जा रहा है। दूसरी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों के कई पदाधिकारी भारतीय संपूर्ण क्रांतिकारी पार्टी में शामिल हुए हैं। अभी कई अन्य राजनेता उनकी पार्टी में आने की अपनी इच्छा जाहिर की है, जिसपर संसदीय दल विचार कर रही है।
भदौरिया अखिल विश्व क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी है श्री भदौरिया ने कहा कि अभी जम्मू कश्मीर के उनके दौरे पर वहां के कई राजनेता पार्टी में शामिल हुए और कई नेताओं ने पार्टी में आने की इच्छा जताई। उन्होने कहा कि इसी प्रकार दिल्ली में कई रार्ष्टीय राजनीतिक दलों के नेता उनके संपर्क में हैं। शुक्रवार को आप के विधायक राजेंद्र पाल गौतम कांग्रेस में शामिल होने पर उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली में सभी 70 विधान सभा क्षेत्रो में उनकी टीम काम कर रही है और यहां भी जम्मू और हरियाणा की तरह समान विचार धारा वाली पार्टियों के साथ चुनाव लड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया सकता। बता दे कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर जोगेंद्र सिंह भदौरिया की निगाहें राष्ट्रीय पार्टियों से नाराज नेताओं पर लगी हुई है ! पूर्व में भी अनेक पार्टियों के वरिष्ठ नेताओ के सीधे संबंध रहे हैं ! इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ ए पी सिंह, राष्ट्रीय प्रवक्ता आई ऐ हाशमी राष्ट्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र शुक्ला, पार्टी के हरियाणा प्रभारी सतीश जी, राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र सिंह भदौरिया, राष्ट्रीय सचिव शिवनंदन सिंह, राष्ट्रीय सचिव उमेशानंद महाराज, प्रयाग पीठ प्रदेश सचिव कश्मीर टाली अब्दुल हामिद एवं दिल्ली प्रदेश सचिव अभिलाख सिंह सहित राष्ट्रीय कोर कमेटी के सदस्य शामिल हुए।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=42021 0
राहुल गांधी झूठ का नैरेटिव और झूठ की खेती करते हैं: केंद्रीय मंत्री गिरिराज https://madhavexpress.com/?p=39398 https://madhavexpress.com/?p=39398#respond Fri, 02 Aug 2024 19:01:38 +0000 https://madhavexpress.com/?p=39398 नई दिल्ली  इडी छापेमारी को लेकर किए गए राहुल गांधी के दावे पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी झूठ का नैरेटिव और झूठ की खेती करते हैं। राहुल गांधी हतोत्साहित हैं। इसलिए यह झूठी अफवाह फैला रहे हैं इससे बड़ा झूठा विपक्ष का नेता आज तक नहीं बना है। राहुल गांधी अपनी जाति बताने के डर से ऐसे बयान दे रहे हैं। राहुल गांधी के दावे के बाद अब इस मुद्दे पर सियासत शुरू हो गई है। शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने राहुल गांधी के समर्थन में सरकार पर निशाना साधा है। सांसद संजय राउत ने कहा है कि जो भी सरकार के खिलाफ बोलता है तो सरकार उसके खिलाफ साजिश रचती है। हमें कुछ भी हो सकता है। राहुल गांधी पर हमले भी हो सकते हैं। विदेश में साजिश रची जा रही है। सरकार राहुल गांधी से डर हुई है। विपक्षी नेताओं पर गुंडों की मदद से हमले किए जा सकते हैं। शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को छापेमारी के बारे में जानकारी होगी। जब-जब सरकार डरती है, एजेंसी को आगे करती है। ये सरकार डरी हुई सरकार है। एजेंसी के तहत डराने की कोशिश करते हैं। लेकिन हम लोग डरने वाले नहीं हैं। राहुल गांधी के ट्वीट के बाद कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने एजेंसियों के दुरुपयोग पर लोकसभा में चर्चा के लिए संसद में नोटिस भी दिया है। दरअसल, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शुक्रवार को बड़ा दावा करते हुए कहा है कि ईडी संसद में उनके चक्रव्यूह वाले भाषण के बाद उन पर छापेमारी करने की योजना बना रही है। कांग्रेस सांसद ने दावा किया कि ईडी के अंदरूनी लोगों ने उन्हें इसकी जानकारी दी है। एक्स पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा-जाहिर है, टू इन वन को मेरा चक्रव्यूह भाषण पसंद नहीं आया। ईडी के अंदरूनी लोगों ने मुझे बताया कि छापेमारी की योजना बनाई जा रही है। बांह फैलाकर ईडी का इंतजार कर रहा हूं, चाय और बिस्कुट मेरी तरफ से। बता दें कि 29 जुलाई को लोकसभा में बजट पर बोलते हुए राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर हमला किया था। उन्होंने कहा था कि देश के किसान, मजदूर और युवा डरे हुए हैं। उन्होंने कमल के प्रतीक को प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए पीएम मोदी की आलोचना की और दावा किया कि 21वीं सदी में एक नया चक्रव्यूह बनाया गया है।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=39398 0
पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को लेकर शुरू हुआ ‘जागो सरकार जागो’ अभियान https://madhavexpress.com/?p=39354 https://madhavexpress.com/?p=39354#respond Fri, 02 Aug 2024 16:58:18 +0000 https://madhavexpress.com/?p=39354 लखनऊ: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाहरी हिस्सों में खुद को समेटने पर मजबूर बुंदेलखंड, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर क्षेत्र है, लेकिन यह आज भी विकास और आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। कई दशकों से बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाए जाने की मांग चल रही है लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों की बेरुखी ने क्षेत्रीय निवासियों को पिछड़ेपन में जीवन व्यतीत करने का आदि बना दिया है। हालांकि समय-समय पर विकास के नए मार्ग खोलने के उद्देश्य से पृथक बुंदेलखंड की मांग जोर पकड़ती रही है, लेकिन परिणाम जस के तस बने हुए हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के लोकप्रिय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफार्म बुंदेलखंड 24×7 ने एक बार फिर अपने नए अभियान ‘जागो सरकार जागो’ के माध्यम से अलग राज्य की मांग को जिम्मेदार तंत्र तक पहुँचाने की मुहिम छेड़ी है। जागो सरकार जागो के माध्यम से क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक तबकों तक बुंदेलखंड को पृथक राज्य का दर्जा मिलने के पीछे प्रमुख कारणों व आवश्यकताओं के प्रति जागरूक किया जा रहा है, तथा सांसद, विधायकों से लेकर आला अफसरों तक ज्ञापन सौंपने की कवायद की जा रही है।

नए अभियान को लेकर चैनल फाउंडर अतुल मलिकराम ने कहा, “बुंदेलखंड के लोग लंबे समय से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां की 80 फीसदी से अधिक आबादी का मानना है कि पृथक राज्य बनने से इस क्षेत्र के विकास को नई दिशा मिलेगी और यहां के निवासियों को उनके हक का पूरा लाभ मिलेगा। हम बुंदेलखंडवासियों की मांग को केंद्र व राज्य सरकारों तक पहुँचाने के लिए प्रयत्नशील हैं तथा उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और वर्षों से लंबित इस मामले का हल निकालेगी।”

इससे पूर्व चैनल ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से पृथक बुंदेलखंड की मांग को मजबूती प्रदान करते हुए 5 लाख हस्ताक्षर अभियान का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इसके अंतर्गत लाखों की संख्या में लोगों ने अलग राज्य के लिए अपनी सहमति दर्ज की हैं। वहीं जागो सरकार जागो मुहिम के तहत, बुंदेलखंड 24×7 विभिन्न कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का काम कर रहा है। चैनल की मुहिम में क्षेत्रीय निवासी भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और बुंदेलखंड की आवाज़ को सत्ता के कानों तक पहुँचाने में सारथि बन रहे हैं।
चैनल द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता बढ़ाने और सरकार तक इस मांग को पहुंचाने की प्रतिबद्धता के तहत विभिन्न कार्यक्रमों और संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=39354 0
विश्वनाथ की अनुपम नगरी काशी https://madhavexpress.com/?p=38914 https://madhavexpress.com/?p=38914#respond Fri, 26 Jul 2024 18:48:44 +0000 https://madhavexpress.com/?p=38914 { सुभाष आनन्द  }

काशी एक पुराना शहर है साथ ही यह भारतीय संस्कृति की धड़कन एवं अस्मिता का भी प्रतीक है। कई लेखकों ने काशी के बारे में बहुत कुछ लिखा है लेकिन सुनीति कुमार चैटर्जी के शब्दों में काशी के सौंदर्य की छाप विश्व की प्रसिद्ध नगरियों जैसे रोम, ऐथेन्स, टामरिक और ऑक्सफोर्ड से ज्यादा प्राणवान है। इन नगरियों की अपेक्षा काशी का अस्तित्व विराट और महत्वपूर्ण है। पंडित जवाहर लाल के शब्दों में काशी अखण्ड इतिहास की नगरी है यह बात तो दिल्ली को भी प्राप्त नहीं। नई दिल्ली, दिल्ली का आठवां स्वरूप है। काशी प्राचीन नगरी है। दमिश्क के समकक्ष आज से 3000 वर्ष पहले महात्मा गौतम ने भी भारत में काशी को अपना सांस्कृतिक पीठ चुना था। पुराविदों के अनुसार ईसा पूर्व 1200 वर्ष पहले से पहले काशी का अस्तित्व था। गौतम बुद्ध, आदिनाथ, शंकराचार्य, चैतन्य, संत कबीर, स्वामी रामानन्द, महाप्रभु बल्लभाचार्य, संत तुलसी दास, संत रैदास, गुरू नानक देव जी ने काशी में साधना और तत्व ज्ञान की प्राप्ति की। रामकृष्ण परमहंस को काशी में ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। उल्लेखनीय है कि काशी अनादि नगरी और ज्ञान की पुरी रही है। विश्व के समस्त विद्वान अपने आप को आधा अधूरा मानते हैं जब तक काशी में आकर अध्ययन न कर ले।

दूसरे शब्दों में काशी मंदिरों की नगरी है। प्राय: हर घट शिवालय और प्रत्येक चौराहा किसी देवती देवता का देवरा या चौरा है। प्राय: ऐसा कहा जाता है कि भूत पावन शंकर भगवान को दो स्थान काशी और कैलाश बड़े ही प्रिय लगते हैं उन्हें काशी अति प्रिय होने के कारण कैलाश जैसे रम्ण्य स्थान को छोड़कर गंगा समेत काशी आना पड़ा था, पुण्य सलिला गंगा ने अपने प्रवाह में अनेक बार अपना प्रवाह स्थान बदला है परन्तु वह शंकर भगवान की कृपा से काशी में स्थिर है। शिव जी के मस्तिष्क पर शोभायमान अद्र्धचन्द्राकार जैसा उनका स्वरूप है। काशी में गंगा का यह सौंदर्य अतुल्य है। काशी के घाटों को गंगा जी ने कभी छोड़ा नहीं है मत्त्स पुराण में भगवान शिव स्वयं वाराणसी का वर्णन करते हुए कहते हैं

वाराणसी नदी पुण्या सिद्धगंवर्ध सेवित।

प्रवस्य त्रिपयागंगा तस्मित होत्रे ममप्रिये।।

सिद्ध गंधर्वों से सेवित पुण्य वाराणसी जहां गंगा से मिलती है वह मुझे प्रिय लगती है। गंगा के बाएं तट पर बसा हुआ यह शहर हर-हर बम बम महादेव , काशी विश्वनाथ गंगे की आवाज और विश्वनाथ मंदिर के पट खुलने से जागता है। बिस्मिल्ला खां की शहनाई से उसकी निद्रा टूटती है और किशन महाराज के तबले की थाप पर लोग क्रियाशील होते हैं। काशी के चरित्र में पूर्णरूप से विवधत्त है अनेकता में एकता साफ दिखाई देती है। मनीषियों ने जहां काशी को आनन्द कानन माना है वहीं महाश्मशान की संज्ञा भी दी गई है। यहां शवदाह भी बैंडबाजों के साथ किया जाता है। गंगा के किनारों का निर्माण राजाओं, धनाढ्य और सेठों ने किया है जो अति सुंदर है। यह घाट छ: मील के क्षेत्रफल में फैले हुये हैं। प्रात: काल सुनहरी धूप में चमकते मंदिर मंत्रोच्चार गायत्री मंत्र वाले पुरुषों और पूजा पाठ में लीन महिलाओं के साथ दिन चढ़ता है। गंगा में तैरते फूलों और दीपों की शोभा कुछ निराली ही दिखाई देती हैं प्राय: की भांति प्रत्येक सायं व रातों को घाटों की अपनी रोचकता है। बड़े-बड़े घंटों की आवाज की गूंज में गंगाजी की आरती अति सौन्दर्य लगती है। हमारे गाईड ने हमें बताया कि काशी में गंगा पर कुल 76 घाट बने हुये हैं लेकिन इन घाटों में हरिश्चन्द्र, पंचगंगा, मणिकार्णिकन्द, दशामेघ और वरुण घाट मुख्य है। प्रत्येक घाट के साथ कोई न कोई कहानी जुड़ी हुई है। वाराणसी-वरुणा और अभी नदियों के बीच बसा वाराणसी। बनारस जहां सदा रस बरसता है। पुरातन काल से काशी विद्या का प्रमुख केन्द्र रहा है। काशी में आज तीन से भी ज्यादा विश्वविद्यालय है। तुलसी दास ने ठीक ही लिखा है-

मुक्तिजन्म महि जानि, ज्ञान खानि अधहानिकर।

जहां बस शुभ भवानी, सो काशी से इअकस नाही।।

महर्षि वेदव्यास ने वेदों को यही चार भागों में बांटा था और श्रीमद भागवत् व अठारह पुराणों की रचना की थी। महर्षि अगस्त, महर्षि पतंजलि की तपोभूमि इस परम्परा में आज भी जीवन्त किए हैं। सहस्रो साधु संत, तीर्थ, मठ, आश्रम मंदिर काशी में अनेकानेक हैं। इसलिए काशी देश की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जानी जाती है। काशी में हर सम्प्रदाय के सन्यासी व संत है। कुछ साधुओं में से पंचमारा दंडी स्वामी है। इसके 37 मठ काशी में है। छठी शताब्दी का स्थापित जंगमवादी मठ काशी का प्राचीन मठ है। काशी विश्वनाथ मंदिर की पूजा का अधिकार इस मठ को है।

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी द्वादश ज्योतिर्लिंगों के स्थानों में से एक हैं। यह 51 शक्तियों में से एक शक्तिपीठ विशालक्षी मणिकार्णिका घाट पर है वैसे काशी में चार विश्वनाथ मंदिर बताए गए हैं परन्तु मुख्य मंदिर अविमुक्तेश्वर प्रांगण में स्थित काशी विश्वनाथ का मंदिर है। मंदिर का पट बाह्य वेला में तीन बजे खुल जाता है और रात्रि को 12.00 बजे बंद होता है। इस बीच कुछ पांच आरतियां तथा मंगला, भोग, संध्या, श्रृंगार और शयन आरतियां होती हैं। आरतियों के समय पुजारियों को छोड़कर अन्य लोगों के लिए गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है। शेष समय में भक्त गर्भगृह में दर्शनार्थ आ जा सकते हैं। आरती का दृश्य अत्यन्त रोमांचकारी होता है। पुजारियों का समवेत स्वरों में मंत्रोच्चारण और अन्त में कर्पूर गौर करुणा वतारम का सस्वर मंत्र पाठ से मन को अपार शक्ति मिलती है और भक्तों में होड़ लग जाता है आरती पाने और श्री विश्वेश्वर के दर्शन की। आरती के समय को छोड़कर बाकी समय शिवलिंग गंगाजल बेलपत्र माला फूलों से ढंका रहता है। शिवरात्रि, रंग भरी एकादशी और अन्नकूट पर्व पर मुख्य शिवलिंग जिसके चारों तरफ सोने की जलघरी और चांदी का चौकार घेरा है शिवलिंग सोने के जलघरी में है। धार्मिक दृष्टि से पंचकोशी यात्रा का बहुत महत्व है। कर्दमश्वर, भीमचड़ी, रामेश्वरम पंच पांडव और कपिलधारा ये पांच पड़ाव है।

गुप्तकाल में श्री विश्वेश्वर मंदिर का भव्य निर्माण हुआ था। 1110 ई. से 1669 तक मंदिर को तोडऩे का काम मुस्लिम शासकों द्वारा लगातार चलता रहा। मंदिर टूटता रहा पुन: बनता रहा। मुगल शासकों में कुतुबुद्दीन ऐबक, शाहबुद्दीन गौरी, इल्तुनमिश, फिरोज तुगलक, सिकंदर लोदी और औरंगजेब ने काशी के मंदिरों को जमीदोज कर दिया था। 2 अक्टूबर 1669 को औरंगजेब ने काशी के मंदिर को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया था। वर्तमान मंदिर 1780 में अहिल्याबाई ने बनवाया था। महाराजा रणजीत सिंह ने 1839 में 875 किलो सोना चढ़ाया था। मैंने देखा कि काशी में लघु भारत का सहज ही दर्शन होता है। दक्षिण भारतीय, बंगाली, मारवाड़ी, महाराष्ट्रीय, गुजराती, पंजाबी, हरियाणी, उत्तर प्रदेशी इत्यादि विविध भारतीय लोग नया संदेश दे रहे हैं।

काशी की सरजमी कुछ निराली ही नजर आती है। अस्सी घाट से लेकर राजपाट तक घाटों की श्रृंखला के अद्भुत नजारे देखने को मिलते हैं जहां गरीब से करोड़पति हर-हर महादेव शंभों के मंत्रों से गंगा में स्नान कर और विश्वनाथ व माँ अन्नपूर्णा का दर्शन कर अपने आप को भाग्यशाली मानता है। मुस्लिम लोगों की भी शिव शंकर भोले बाबा में पूर्ण आस्था देखने को मिलती है।

मिर्जा गालिब ने 1827 ई. में इस शहर को चिरागे ढेर मंदिर का दीया कहा था और कई शायर इस काशी की सुंदरता के कहे थे।

त आल अल्लाह बनारस चश्मे-ए-बद्दूर।

विहिश्त-ए-खुर्रम-ओ फिरदौस ए मासूर।।

अभिप्राय: बनारस एक हरा भरा शहर है यह स्वर्ग जैसा दिखाई देता है, अल्लाह इसे बुरी नजर से बचाए।

इबादत रवाना-ए- नाक सियानबस्त।

हमाना काब-ए-हिन्दुस्तान।।

अभिप्राय बनारस शंख बजाने वालों का उपासना घर है और हिन्दुस्तान का काबा है।

खाक भी जिस सरजमी की पारस है।

शहर मशहूर वह बनारस है।।

एक कवि ने तो यहां तक लिखा है-

चना चबेना गंगा जल जो पुखै कवार।

काशी कनि न छोडिय़े विश्वनाथ दरबार।।

हमारे गाईड ने बताया कि जितना आप काशी का सफर करते जाएंगे आप यहां के हो जाएंगे। काशी हिन्दू धर्म का जीता जागता संग्रहालय है। काशी के जीवन में संतोष एवं मस्ती है। हर व्यक्ति शिव रंग में रंगा हुआ है। इसे मंदिरों का शहर के नाम से जाना जाता है। यहां का हर नर-नारी एवं बूढ़े बच्चे शिव भक्ति में प्रात: से सायं तक मग्न रहते हैं। बूढ़े यहां मोक्ष प्राप्ति के लिए प्राय: आते रहते हैं। काशी मोक्षद्वार भी है।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=38914 0
नित नूतनता व परिवर्तनशीलता के धनी बाबा नागार्जुन https://madhavexpress.com/?p=38911 https://madhavexpress.com/?p=38911#respond Fri, 26 Jul 2024 18:44:58 +0000 https://madhavexpress.com/?p=38911 विवेक रंजन श्रीवास्तव

जब भी बीमार पड़ूं, तो किसी नगर के लिए टिकिट लेकर ट्रेन में बैठा देना, स्वस्थ हो जाऊंगा। अपने बेटे शोभाकांत से हँसते हुये ऐसा कहने वाले विचारक, घुमंतू जन कवि, उपन्यासकार, व्यंग्यकार,बौद्ध दर्शन से प्रभावित रचनाकार, यात्री नाम से लिखे तो स्वाभाविक ही है। हिंदी के यशस्वी कवि बाबा नागार्जुन का जीवन सामान्य नहीं था। उनमें आदि से अंत तक कोई स्थाई संस्कार जम ही नहीं पाया। अपने बचपन में वे ठक्कन मिसर थे पर जल्दी ही अपने उस चोले को ध्वस्त कर वे वैद्यनाथ मिश्र हुए, और फिर बाबा नागार्जुन… मातृविहीन तीन वर्षीय बालक पिता के साथ नाते रिश्तेदारों के यहां जगह जगह जाता आता था,यही प्रवृति, यही यायावरी उनका स्वभाव बन गया, जो जीवन पर्यन्त जारी रहा।राहुल सांस्कृत्यायन उनके आदर्श थे। उनकी दृष्टि में जैसे इंफ्रारेड…अल्ट्रा वायलेट कैमरा छिपा था, जो न केवल जो कुछ आंखो से दिखता है उसे वरन् जो कुछ अप्रगट, अप्रत्यक्ष होता, उसे भी भांपकर मन के पटल पर अंकित कर लेता।.. उनके ये ही सारे अनुभव समय समय पर उनकी रचनाओं में नये नये शब्द चित्र बनकर प्रगट होते रहे। जो आज साहित्य जगत की अमूल्य धरोहर हैं। हम तो आज तक इन्हें समझ नहीं पाए! उनकी पत्नी अपराजिता देवी की यह टिप्पणी बाबा के व्यक्तित्व की विविधता, नित नूतनता, व परिवर्तनशीलता को इंगित करती है। उनके समय में छायावाद, प्रगतिवाद, हालावाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, अकविता, जनवादी कविता और नवगीत आदि जैसे कई काव्य-आंदोलन चले और उनमें से ज्यादातर कुछ काल तक सरगर्मी दिखाने के बाद समाप्त हो गये। पर नागार्जुन की कविता इनमें से किसी फ्रेम में बंध कर नहीं रही, उनके काव्य के केन्द्र में कोई ‘वाद’ नहीं रहा, बजाय इसके वह हमेशा अपने काव्य-सरोकार ‘जनसामान्य’ से ग्रहण करते रहे, और जनभावों को ही अपनी रचनाओं में व्यक्त करते रहे। उन्होंने किसी बँधी-बँधायी लीक का निर्वाह नहीं किया, बल्कि अपने काव्य के लिए स्वयं की नई लीक का निर्माण किया.तरौनी दरभंगा-मधुबनी जिले के गनौली -पटना-कलकत्ता-इलाहाबाद-बनारस-जयपुर-विदिशा-दिल्ली-जहरीखाल,दक्षिण भारत और श्रीलंका न जाने कहां-कहां की यात्राएं करते रहे, जनांदोलनों में भाग लेते रहे और जेल भी गए। सच्चे अर्थो में उन्होने घाट घाट का पानी पिया था। आर्य समाज,बौद्ध दर्शन, माक्र्सवाद से वे प्रभावित थे। मैथिली, हिन्दी और संस्कृत के अलावा पालि, प्राकृत, बांग्ला, सिंहली, तिब्बती आदि अनेकानेक भाषाओं का ज्ञान उनके अध्ययन, व अभिव्यक्ति को इंद्रधनुषी रंग देता है। किंतु उनकी रचना धर्मिता का मूल भाव सदैव स्थिर रहा, वे जन आकांक्षा को अभिव्यक्त करने वाले रचनाकार थे। उन्होंने हिन्दी के अलावा मैथिली, बांग्ला और संस्कृत में अलग से बहुत लिखा है।

उनकी वर्ष 1939 में प्रकाशित आरंभिक दिनों की एक कविता ‘उनको प्रणाम’ में जो भाव-बोध है, वह वर्ष 1998 में प्रकाशित उनके अंतिम दिनों की कविता ‘अपने खेत में’ के भाव-बोध से बुनियादी तौर पर समान है। उनकी विचारधारा नितांत रूप से भारतीय जनाकांक्षा से जुड़ी हुई रही। आज इन दोनों कविताओं को एक साथ पढऩे पर, यदि उनके प्रकाशन का वर्ष मालूम न हो तो यह पहचानना मुश्किल होगा कि उनके रचनाकाल के बीच तकरीबन साठ वर्षों का फासला है। दोनों कविताओं के अंश इस तरह हैं

1939 में प्रकाशित’उनको प्रणाम’……

…जो नहीं हो सके पूर्ण-काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम

जिनकी सेवाएँ अतुलनीय पर विज्ञापन से रहे दूर,

प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके कर दिए मनोरथ चूर-चूर! – उनको प्रणाम…

1998 में ‘अपने खेत में’……

…..अपने खेत में हल चला रहा हूँ

इन दिनों बुआई चल रही है

इर्द-गिर्द की घटनाएँ ही मेरे लिए बीज जुटाती हैं

हाँ, बीज में घुन लगा हो तो अंकुर कैसे निकलेंगे!

जाहिर है बाजारू बीजों की निर्मम छँटाई करूँगा

खाद और उर्वरक और सिंचाई के साधनों में भी

पहले से जियादा ही चौकसी बरतनी है

मकबूल फिदा हुसैन की चौंकाऊ या बाजारू टेकनीक

हमारी खेती को चौपट कर देगी!

जी, आप अपने रूमाल में गाँठ बाँध लो, बिल्कुल!

उनकी विख्यात कविता प्रतिबद्ध कि पंक्तियां…….

प्रतिबद्ध हूं/

संबद्ध हूं/

आबद्ध हूं…जी हां,शतधा प्रतिबद्ध हूं

तुमसे क्या झगड़ा है/हमने तो रगड़ा है/इनको भी, उनको भी, उनको भी, उनको भी!

उनकी प्रतिबद्धता केवल आम आदमी के प्रति है।

उनकी कई प्रसिद्ध कविताएँ जैसे कि ‘इंदुजी, इंदुजी क्या हुआ आपको’,’अब तो बंद करो हे देवी यह चुनाव का प्रहसन’ और ‘तीन दिन, तीन रात आदि में व्यंगात्मक शैली में तात्कालिक घटनाओं पर उन्होंने गहरे कटाक्ष के माध्यम से अपनी बात कही है।

‘आओ रानी, हम ढोएंगे पालकी’

की ये पंक्तियाँ देखिए………….

यह तो नई-नई दिल्ली है, दिल में इसे उतार लो

एक बात कह दूँ मलका, थोड़ी-सी लाज उधार लो

बापू को मत छेड़ो, अपने पुरखों से उपहार लो

जय ब्रिटेन की जय हो इस कलिकाल की!

आओ रानी, हम ढोएँगे पालकी!,

व्यंग्य की इस विदग्धता ने ही नागार्जुन की अनेक तात्कालिक कविताओं को कालजयी बना दिया है, जिसके कारण वे कभी बासी नहीं हुईं और अब भी तात्कालिक बनी हुई हैं। कबीर के बाद हिन्दी कविता में नागार्जुन से बड़ा व्यंग्यकार अभी तक कोई नहीं हुआ। नागार्जुन का काव्य व्यंग्यशब्द चित्रों का विशाल अलबम है

कभी किसी जीर्ण-शीर्ण स्कूल भवन को देखकर बाबा ने व्यंग्य किया था, फटी भीत है छत चूती है। उनका यह व्यंग्य क्या आज भी देश भर के ढेरों गांवों का सच नहीं है?

अपने गद्य लेखन में भी उन्होंने समाज की सचाई को सरल शब्दों में सहजता से स्वीकारा, संजोया और आम आदमी के हित में समाज को आइना दिखाया है

पारो से- क्यों अपने देश की क्वांरी लड़कियाँ तेरहवाँ-चौदहवाँ चढ़ते-चढ़ते सूझ-बूझ में बुढिय़ों का कान काटने लगती हैं। बाप का लटका चेहरा, भाई की सुन्न आँखें उनके होश ठिकाने लगाये रखती है। अच्छा या बुरा, जिस किसी के पाले पड़ी कि निश्चिन्त हुईं। क्वांरियों के लिए शादी एक तरह की वैतरणी है। डर केवल इसी किनारे है, प्राण की रक्षा उस पार जाने से ही सम्भव। वही तो, पारो अब भुतही नदी को पार चुकी है। ठीक ही तो कहा अपर्णा ने। मैं क्या औरत हूँ? समय पर शादी की चिन्ता तो औरतों के लिए न की जाए, पुरुष के लिए क्या? उसके लिए तो शादी न हुई होली और दीपावली हो गई।।

दुख मोचन से- पंचायत गांव की गुटबंदी को तोड़ नही सकी थी, अब तक। चौधरी टाइप के लोग स्वार्थसाधन की अपनी पुरानी लत छोडऩे को तैयार नही थे। जात पांत, खानदानी घमंड, दौलत की धौंस, अशिक्षा का अंधकार,लाठी की अकड़, नफरत का नशा, रुढि़ परंपरा का बोझ, जनता की सामूहिक उन्नति के मार्ग में एक नहीं अनेक रुकावटें थीं। आज भी कमोबेश हमारे गांवो की यही स्थिति नहीं है क्या?

समग्र स्वरूप में ठक्कन मिसर वैद्यनाथ मिश्र…..नागार्जुन उर्फ यात्री, विविधता, नित नूतनता, व परिवर्तनशीलता के धनी…पर जनभाव के सरल रचनाकार थे। उनकी जन्म शती पर उन्हें शतश: प्रणाम, श्रद्धांजली, और यही कामना कि बाबा ने उनकी रचनाओं के माध्यम से हमें जो आइना दिखाया है, हमारा समाज, हमारी सरकारें उसे देखे और अपने चेहरे पर लगी कालिख को पोंछकर स्वच्छ छवि धारण करे, जिससे भले ही आने वाले समय में नागार्जुन की रचनायें अप्रासंगिक हो जावें पर उनके लेखन का उद्देश्य तो पूरा हो सके।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=38911 0
परिश्रमी, जिद्दी और मिलनसार प्रभात झा https://madhavexpress.com/?p=38908 https://madhavexpress.com/?p=38908#respond Fri, 26 Jul 2024 18:23:17 +0000 https://madhavexpress.com/?p=38908 (राकेश अचल)
प्रभात झा का असमय जाना खल गया। प्रभात झा से प्रभात जी होने का एक लंबा सफर है और संयोग से मैं इस सफर का हमराही भी हूँ और चश्मदीद भी। प्रभात मेरी दृष्टि में सचमुच गुदड़ी के लाल थे। प्रभात 1980 में ग्वालियर में उस समय आये थे जब भाजपा का जन्म हुआ ही था । वे बिहार में दरभंगा जिले के हरिहरपुर गांव के रहने वाले थे।उनके पिता एक सामान्य परिवार के मुखिया थे।ग्वालियर में प्रभात का शैक्षणिक ,सामाजिक और राजनीतिक जीवन जब शुरू हो रहा था तब मेरी पत्रकारिता की गाड़ी चल पड़ी थी।
प्रभात में बचपन से ही श्रमजीवी होने के लक्षण थे। वे भाजपा की महाराज बाड़ा पर होने वाली आम सभाओं के लिए फर्श बिछवाने से लेकर नेताओं के आने तक मंच पर अकेले भाषण देने का काम बखूबी करने लगे थे। भाजपा का कार्यालय मुखर्जी भवन बना तो वे कार्यालय में आ गये । यहीं एक छोटे से कक्ष में प्रभात झा ने उगना शुरू किया। वे परिश्रमी थे,जिद्दी थे और मिलनसार भी ,इसीलिए स्थानीय भाजपा नेताओं में अल्प समय में ही लोकप्रिय हो गए। उन्हें पितृवत संरक्षण दिया तत्कालीन भाजपा नेता भाऊ साहब पोतनीस ने। पोतनीस जी ग्वालियर के महापौर भी रहे। उन्होंने विधानसभा का चुनाव भी लड़ा और प्रभात झा उनके लिए अविराम काम करते रहे।
लिखने-पढ़ने में प्रभात की अभिरुचियों को देखते हुए संघ ने उन्हें अपने मुखपत्र दैनिक स्वदेश में बुला लिया । वे अब दोहरी भूमिका में थे । एक पत्रकार के रूप में भी और भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में भी। हम दोनों हमउम्र थे और सत्ता प्रतिष्ठान के प्रति मुखर रहने वाले भी इसलिए हमारी निकटता मित्रता में कब तब्दील हो गयी ,हमें पता ही नहीं चला।मुझसे दो साल बड़े प्रभात ने मुझे कभी मेरे नाम से नहीं बुलाया । मैं उनके लिए सदैव अचल ही बना रहा। वह प्रभात के जीवन का वो फकीराना दौर था । सुबह का नाश्ता कहाँ होगा ,दोपहर का भोजन कहाँ और रात्रि का भोजन कहाँ प्रभात खुद नहीं जानते थे। हमारे यहां एक कहावत है कि – जहाँ मिली दो ,वहीं गए सो ‘ ये कहावत उन दिनों प्रभात झा पर पूरी तरह लागू होती थी।
पार्टी के लिए वे निशियाम काम करते थे, पार्टी कार्यकर्ताओं की मदद के लिए वे किसी भी समय ,किसी भी अधिकारी या नेता के घर जा धमकते थे। उन्हें किसी की भी मदद करने में कोई संकोच नहीं था ,ये वो दिन थे जब प्रभात पैदल राजनीति और पत्रकारिता दोनों करते थे । बहुत दिनों बाद उनके पास उस जमाने की सबसे लोकप्रिय लेकिन सस्ती मानी जाने वाली मोपेड लूना आयी। उसमें पेट्रोल कब ,कहां खत्म हो जाये ये कोई नहीं जानता था। जहाँ पेट्रोल खत्म वहीं लूना को खड़ा कर प्रभात किसी और के साथ निकल जाते थे। कोई न कोई शुभचिंतक बाद में लूना में पेट्रोल डलवाकर मुखर्जी भवन के नीचे टिका आता था। प्रभात कुछ ही वर्षों में शहर के लिए एक चिर-परिचित नाम बन गए थे।
प्रभात अपने पिता से मिलने जब भी मुंबई या बिहार जाते तो मेरे लिए कुछ न कुछ उपहार जरूर लाते थे। उनके यहां रेडीमेड वस्त्रों का काम भी होता था शायद। इसलिए वे मेरे लिए शर्ट अवश्य लाते थे। प्रभात को गरीबी का अहसास ही नहीं अनुभव भी था इसीलिए वे गरीबों के प्रति हमेशा उदार रहते थे। वे जिसके खिलाफ खड़े होते तो पीछे नहीं हटे और जिसके साथ खड़े होते तो कभी साथ नहीं छोड़ते। उनके ये ही गुण उनके भविष्य की आधारशिला बने। भाजपा के तबके शीर्ष नेता कुशाभाऊ ठाकरे के लिए प्रभात झा सबसे भरोसे के कार्यकर्ता थे। उनका यही विश्वास प्रभात को ग्वालियर से भोपाल ले गया ।
प्रभात को ग्वालियर ने पहचान दी ,परिवार दिया ,बच्चे दिए और प्यार दिया । वे पोतनीस का बाड़ा के स्थानीय निवासी बन गए ,लेकिन उन्होंने अपने परिवार को कभी अपनी सीमाओं से बाहर नहीं निकलने दिया। वे जब पार्टी के कार्यालय सचिव बनकर भोपाल आये तो मेरे भोपाल प्रवास का आश्रय उनका कार्यालय का कमरा ही होता था। वे हर समय हड़बड़ी में रहते थे। प्रेस से पार्टी के रिश्ते बनाने में प्रभात ने जो मेहनत की वैसी मेहनत मेरी नजर में अभी तक भाजपा का कोई मीडिया प्रमुख नहीं कर पाया। रूठों को मनाने में उन्हें महारत हासिल थी। मेरा उनसे अनेक अवसरों पर मतभेद भी हुआ लेकिन इस मतभेद ने खाई का रूप कभी नहीं लिया ।
वे सामंतवाद के मुखर विरोधी लेकिन राजमाता विजयाराजे सिंधिया के लिए सदैव समर्पित रहते थे ,उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के साथ भी सौजन्य निभाया लेकिन उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ तब तक मोर्चा खोले रखा जब तक कि ज्योतिरादित्य खुद भाजपा में शामिल नहीं हो गए।
प्रभात झा क पार्टी के जनाधार पर ही आगे बढ़े। आज के मप्र विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर उस जमाने में पार्षद होते थे और प्रभात झा पत्रकार। प्रभात झा ने सियासत में जिस तरह से छलांग लगाईं थी उससे पार्टी के भीतर और बाहर उनके जितने समर्थक थे उतने ही विरोधी भी। एक समय ऐसा आया की प्रभात झा मेरे पड़ोस में रहने आ गए। वे उन दिनों प्रदेश के अध्यक्ष थे।वे अक्सर मुझे स्वतंत्रता दिवस पर अपने घर ध्वजारोहण के लिए बुलाते थे।
प्रभात झा को जीवन में वो सब कुछ हासिल हुआ जिसके वे तलबगार थे। उनका एक ही सपना अधूरा रह गया और वो ये था कि वे अपने बेटे को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित नहीं कर पाए। उनके बेटे आत्मनिर्भर हैं ,उन्होंने अपनी ओर से कोशिश भी की किन्तु राजनीति शायद उनके नसीब में नहीं थी। प्रभात और नरेंद्र सिंह तोमर के बीच अपने अपने पुत्रों को राजनीति में स्थापित करने की एक अघोषित प्रतिस्पर्द्धा रही। प्रभात झा अच्छे वक्ता थे,अच्छे लेखक थे ,अच्छे पाठक भी थे। लेकिन एक अराजक जीवन जीने की शैली ने उन्हें तमाम शारीरिक व्याधियां भी दे दीं और यही व्याधियां उनके लिए घातक साबित हुईं। हाल के कुछ वर्षों में उनके लगातार आग्रह के बावजूद मैं उनके घर नहीं गया। उन्होंने जब दिल्ली में घर बनाया तब भी और जब ग्वालियर में घर बनाया तब भी। पता नहीं क्योंकि मैं जिस प्रभात झा का हमराही था वो प्रभात मुझे कहीं नदारद मिला। आज मुझे अपने फैसले पर अफ़सोस भी होता है। अब वे नहीं हैं ,उनकी यादें हैं। मेरी अपने मित्र रहे प्रभात झा को विनम्र श्रृद्धांजलि।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=38908 0
केंद्रीय मंत्री व सांसद स्मृति ईरानी के नामांकन में मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शामिल हुए। https://madhavexpress.com/?p=35206 https://madhavexpress.com/?p=35206#respond Wed, 01 May 2024 09:51:55 +0000 https://madhavexpress.com/?p=35206 LOK SABHA 2024 AMETHI

सभी यदुवंशियों से कहना चाहता हूं…डॉ.मोहन यादव ने राहुल के गढ़ में की रैली, खुद को बताया दामाद

रोड शो के दौरान गौरीगंज ब्लाक मुख्यालय के सामने रथ से लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेठी का पूर्व जिला सुलतानपुर है वह मेरी ससुराल है। दामाद होने के नाते यहां आकर मुझे आनंद आ रहा है। कांग्रेस का प्रत्याशी यहां नहीं आ रहा है। उनकी हालत खराब है। कोई हां करने को तैयार नहीं है। मोदी की आंधी में सब कुछ उड़ जाएगा

रोड शो के दौरान गौरीगंज ब्लाक मुख्यालय के सामने रथ से लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अमेठी का पूर्व जिला सुलतानपुर है वह मेरी ससुराल है। दामाद होने के नाते यहां आकर मुझे आनंद आ रहा है। कांग्रेस का प्रत्याशी यहां नहीं आ रहा है। उनकी हालत खराब है। कोई हां करने को तैयार नहीं है। मोदी की आंधी में सब कुछ उड़ जाएगा।

डॉ.मोहन यादव ने कहा कि मालूम पड़ा है बड़ी संख्या में यहां यदुवंशी भी रहते हैं। मैं सभी यदुवंशियों से कहना चाहता हूं आप सब भाग्यशाली हो, पांच हजार साल पहले भी भगवान कृष्ण ने धर्म के लिए पूरा जीवन कुर्बान किया था। पूरे जीवन धर्म की लड़ाई लड़ी। आज हमारे सामने पुनः वो समय आया है। जब भगवान राम का आनंद आया है। संबोधन के बाद एमपी के सीएम केंद्रीय मंत्री स्मृति के साथ नामांकन दाखिल करवाने कलेक्ट्रेट भी गए। नामांकन के बाद वह यहां से झारखंड के लिए रवाना हो गए।

उन्होंने कहा कि राम जी का आनंद आ गया तो मथुरा वाले कृष्ण कन्हैया ने क्या बिगाड़ा है। उन्हें भी मुस्कुराना चाहिए। भगवान कृष्ण भी मुस्कुराएंगे।

 

 

 

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=35206 0
MP कांग्रेस के संभावित दावेदार के नाम आए सामने, कई विधायकों के नाम शामिल https://madhavexpress.com/?p=33664 https://madhavexpress.com/?p=33664#respond Mon, 04 Mar 2024 10:31:51 +0000 https://madhavexpress.com/?p=33664

भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। इसी कड़ी में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के संभावित दावेदारों के नाम आए हैं। लल्लूराम डॉट काम और न्यूज 24 मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ के पास कांग्रेस के संभावित दावेदार की उपलब्ध सूची में अधिकतर सीटों पर दो नामों की पैनल बनी है। पैनल में कई विधायकों और विधानसभा चुनाव हारे हुए नेताओं के नाम भी शामिल है।

इंदौर से स्वप्निल कोठारी, सत्यनारायण पटेल और देवास से सज्जन वर्मा

मुरैना- नीटू सिकरवार, बलवीर डंडोतिया, रमेश गर्ग। इंदौर लोकसभा, स्वप्निल कोठारी, सत्यनारायण पटेल। खंडवा- अरुण यादव और किशोरी देवी शिवकुमार। राजगढ़- प्रियव्रत सिंह,चंदर सोंधिया। देवास- विपिन वानखेड़े, सज्जन सिंह वर्मा। उज्जैन- महेश परमार, रामलाल मालवीय। धार- महेंद्र कन्नौज, हनी बघेल। खरगोन- बड़वानी पोरलाल खरते, ग्यारसीलाल रावत। विदिशा- अनुमा आचार्य, शशांक भार्गव। भोपाल- मोनू सक्सेना, श्याम शंकर श्रीवास्तव। नर्मदापुरम- आशुतोष चौकसे, देवेन्द्र पटेल, संजू शर्मा, मनीष राय। बैतूल- रामू टेकाम। छिंदवाड़ा, नकुलनाथ। बालाघाट- हीना कांवरे, अनुभा मुंजारे, सारस्वत। मंडला- अशोक मसकोले, नारायण पट्टा।

झाबुआ से कांतिलाल भूरिया और जबलपुर से तरुण भनोट

टीकमगढ़- किरण अहिरवार,पंकज अहिरवार, संजय कस्गर। भिंड-दतिया, फूलसिंह बरैया, देवशीष जरारिया। गुना- विरेन्द्र रघुवंशी, जयवर्धन सिंह। ग्वालियर- प्रवीण पाठक, लाखनसिंह यादव, रामवेसक सिंह गुर्जर। झाबुआ- कांतिलाल भूरिया, हर्ष विजय गेहलोत,जेवियर मेडा। जबलपुर- तरुण भनोट, दिनेश यादव। दमोह- प्रताम सिंह लोधी, मनू मिश्रा।सीधी- कमलेश्वर पटेल या उनके परिवार का कोई सदस्य। सतना- अजय सिंह,नीलांशु चतुर्वेदी,दीलिप मिश्रा, सिद्धार्थ कुशवाह। रीवा-अजय मिश्रा बाबा, अभय मिश्रा सेमरिया, राजेंद्र शर्मा। शहडोल- रमेश सिंह, फुंदेलाल मार्को। सागर-अरुणदय चौबे, प्रभु ठाकुर,राजा बुंदेला और मंदसौर से विपिन जैन, स्वप्निल नाहटा के नाम शामिल हैं।

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=33664 0
मध्य प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत, कांग्रेस के कई दिग्गज नहीं बचा पाए सीट https://madhavexpress.com/?p=30946 https://madhavexpress.com/?p=30946#respond Wed, 06 Dec 2023 09:41:53 +0000 https://madhavexpress.com/?p=30946 Madhya Pradesh Vidhan Sabha Chunav Result: मध्यप्रदेश ने शिवराज सिंह को फिर से गले लगा लिया. भाजपा के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले और मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर विधानसभा चुनाव में पार्टी की शानदार जीत के नायक बनकर उभरे हैं. प्रदेश में पार्टी दो-तिहाई बहुमत मिला है. 230 में से 163 सीटें बीजेपी ने जीती हैं. वहीं कांग्रेस 66 सीटों पर सिमट गई

राज्य में प्रचंड बहुमत के बावजूद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के 12 मंत्री अपनी सीट नहीं बचा सके. नरोत्तम मिश्रा दतिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र भारती से 7,742 वोटों के अंतर से हार गए.

 

मध्य प्रदेश चुनाव परिणाम 2023: निर्वाचन क्षेत्र-वार विजेताओं की सूची
क्र.सं. चुनाव क्षेत्र विजयी उम्मीदवार दल
1 श्योपुर बाबू झंडेल कांग्रेस
2 विजयपुर रामिवास रावत कांग्रेस
3 सबलगढ़ सरला विजेंद्र रावत बी जे पी
4 जोउरा पंकज उपाध्याय कांग्रेस
5 सुमावली अदल सिंह कंसाना बी जे पी
6 मुरैना दिनेश गुर्जर कांग्रेस
7 दिमनी नरेंद्र सिंह तोमर बी जे पी
8 अम्बाह देवेन्द्र रामनारायण सखवार कांग्रेस
9 अटेर हेमन्त सत्यदेव कटारे कांग्रेस
10 भिंड नरेंद्र सिंह कुशवाह बी जे पी
11 लहार अंबरीश शर्मा बी जे पी
12 मेहगांव राकेश शुक्ला बी जे पी
13 गोहाद केशव देसाई कांग्रेस
14 ग्वालियर ग्रामीण साहब सिंह गुर्जर कांग्रेस
15 ग्वालियर प्रधुम्न सिंह तोमर बी जे पी
16 ग्वालियर पूर्व -सतीश सिकरवार कांग्रेस
17 ग्वालियर दक्षिण नारायण सिंह कुशवाह बी जे पी
18 भितरवार मोहन सिंह राठौड़ बी जे पी
19 डबरा सुरेश राजे कांग्रेस
20 सेवड़ा प्रदीप अग्रवाल बी जे पी
21 भांडेर फूल सिंह बैरिया कांग्रेस
22 दतिया राजेंद्र भारती कांग्रेस
23 करेरा रमेश खटीक बी जे पी
24 पोहरी कैलाश कुशवाह कांग्रेस
25 शिवपुरी देवेन्द्र कुमार जैन बी जे पी
26 पिछोर -प्रीतम लोधी बी जे पी
27 कोलारस महेद्र रामसिंह यादव खटोरा बी जे पी
28 बमोरी ऋषि अग्रवाल कांग्रेस
29 गुना पन्ना लाल शाक्य बी जे पी
30 चचौरा प्रियंका मीना बी जे पी
31 राघोगढ़ जयवर्धन सिंह कांग्रेस
32 अशोकनगर हरिबाबू राय कांग्रेस
33 चंदेरी -जगन्नाथ सिंह रघुवंशी बी जे पी
34 मुंगावली बृजेन्द्र सिंह यादव बी जे पी
35 बीना -निर्मला सप्रे कांग्रेस
36 खुरई भूपेन्द्र सिंह बी जे पी
37 सुरखी गोविंद सिंह राजपूत बी जे पी
38 देवरी बृजबिहारी पटैरिया बी जे पी
39 रहली गोपाल भार्गव बी जे पी
40 नारियोली प्रदीप लारिया बी जे पी
41 सागर शैलेन्द्र जैन बी जे पी
42 बाँदा वीरेंद्र सिंह लोधी बी जे पी
43 टीकमगढ़ यादवेंद्र सिंह कांग्रेस
44 जतारा किरण अहिरवार कांग्रेस
45 पृथ्वीपुर नितेन्द्र ब्रजेन्द्र सिंह राठौड़ कांग्रेस
46 निवाड़ी अनिल जैन बी जे पी
47 खरगापुर चंदा सिंह गौर कांग्रेस
48 महाराजपुर कामाख्या प्रताप सिंह बी जे पी
49 चंदला दिलीप अहिरवार बी जे पी
50 राजनगर अरविन्द पटैरिया बी जे पी
51 छतरपुर ललिता यादव बी जे पी
52 बिजावर राजेश शुक्ला बी जे पी
53 मलहरा -साध्वी राम सिया भारती कांग्रेस
54 पथरिया -लखन पटेल बी जे पी
55 दमोह जयन्त मलैया बी जे पी
56 जबेरा धर्मेन्द्र सिंह लोधी बी जे पी
57 हट्टा उमा खटीक बी जे पी
58 पवई प्रह्लाद लोधी बी जे पी
59 गुन्नौर राजेश कुमार वर्मा बी जे पी
60 पन्ना बृजेन्द्र प्रताप सिंह बी जे पी
61 चित्रकूट सुरेंद्र सिंह गहरवार बी जे पी
62 रैगांव प्रतिमा बागरी बी जे पी
63 सतना सिद्धार्थ कुशवाह कांग्रेस
64 नागोद नागेंद्र सिंह बी जे पी
65 मैहर श्रीकांत चतुवेर्दी बी जे पी
66 अमरपाटन राजेंद्र कुमार सिंह कांग्रेस
67 रामपुर-बघेलान रामशंकर प्यासी कांग्रेस
68 सिरमौर दिव्यराज सिंह बी जे पी
69 सेमरिया अभय मिश्रा कांग्रेस
70 त्योंथर सिद्धार्थ तिवारी बी जे पी
71 मऊगंज प्रदीप पटेल बी जे पी
72 देवतालाब गिरीश गौतम बी जे पी
73 मनगवां नरेंद्र प्रजापति बी जे पी
74 रीवा राजेंद्र शुक्ल बी जे पी
75 गुढ़ नागेंद्र सिंह बी जे पी
76 चुरहट अजय अर्जुन सिंह कांग्रेस
77 सीधी रीति पाठक बी जे पी
78 सिहावल विश्वामित्र पाठक बी जे पी
79 चितरंगी राधा सिंह बी जे पी
80 सिंगरौली रामनिवास शाह बी जे पी
81 देवसर राजेंद्र मेश्राम बी जे पी
82 धौहनी कुँवर सिंह टेकाम बी जे पी
83 ब्यौहारी शरद जुगलाल कोल बी जे पी
84 जयसिंहनगर मनीषा सिंह बी जे पी
85 जैतपुर जयसिंह मरावी बी जे पी
86 कोतमा दिलीप जयसवाल बी जे पी
87 अनुपपुर बिसाहू लाल सिंह बी जे पी
88 पुष्पराजगढ़ फंडेलाल मार्को कांग्रेस
89 बांधवगढ़ शिवनारायण ज्ञान सिंह बी जे पी
90 मानपुर मीना सिंह मांडवे बी जे पी
91 बड़वारा धीरेंद्र सिंह बी जे पी
92 विजयराघवगढ़ संजय सत्येन्द्र पाठक बी जे पी
93 मुरवारा संदीप श्रीप्रसाद जयसवाल बी जे पी
94 बहोरीबंद प्रणय प्रभात पांडे बी जे पी
95 पाटन अजय विश्नोई बी जे पी
96 बरगी -नीरज ठाकुर बी जे पी
97 जबलपुर पूर्व -लखन घनघोरिया कांग्रेस
98 जबलपुर उत्तर अभिलाष पांडे बी जे पी
99 जबलपुर छावनी अशोक रोहाणी बी जे पी
100 जबलपुर पश्चिम राकेश सिंह बी जे पी
101 पनागर सुशील कुमार तिवारी बी जे पी
102 सिहोरा संतोष बारबड़े बी जे पी
103 शाहपुरा -ओमप्रकाश धुर्वे बी जे पी
104 डिंडोरी पंकज टेकाम बी जे पी
105 बिछिया नारायण सिंह पट्टा कांग्रेस
106 निवास चैन सिंह वरकड़े कांग्रेस
107 मंडला संपतिया उइके बी जे पी
108 बैहर भगत सिंह नेताम बी जे पी
109 लांजी राजकुमार कर्रहे बी जे पी
110 परसवाड़ा मधु भाऊ भगत कांग्रेस
111 बालाघाट अनुभा मुंजारे कांग्रेस
112 वारासिवनी विक्की पटेल कांग्रेस
113 कटंगी गौरव पारधी बी जे पी
114 बरघाट कमल मस्कोले बी जे पी
115 सिवनी दिनेश मुनमुन राय बी जे पी
116 केवलारी रजनीश सिंह कांग्रेस
117 लखनादौन योगेन्द्र सिंह बाबा कांग्रेस
118 गोटेगांव महेंद्र नागेश बी जे पी
119 नरसिंगपुर प्रह्लाद सिंह पटेल बी जे पी
120 तेंदूखेड़ा विश्वनाथ सिंह बी जे पी
121 गाडरवारा उदय प्रताप सिंह बी जे पी
122 जुन्नारदेव सुनील उइके कांग्रेस
123 अमरवाड़ा -कमलेश प्रताप शाह कांग्रेस
124 चौरई सुजीत मेर सिंह कांग्रेस
125 सौंसर विजय चौरे कांग्रेस
126 छिंदवाड़ा कमल नाथ कांग्रेस
127 परासिया सोहनलाल बाल्मीक कांग्रेस
128 पंधुरना नीलेश पुसाराम उइके कांग्रेस
129 मुल्ताई चन्द्रशेखर देशमुख बी जे पी
130 अमला योगेश पंडाग्रे बी जे पी
131 बेतुल हेमन्त विजय खंडेलवाल बी जे पी
132 घोड़ाडोंगरी गंगा बाई उइके बी जे पी
133 भैंसदेही महेंद्र सिंह चौहान बी जे पी
134 टिमरनी अभिजीत शाह कांग्रेस
135 हरदा रामकिशोर दोगने कांग्रेस
136 सिवनी-मालवा प्रेमशंकर वर्मा बी जे पी
137 होशंगाबाद सीतासरन शर्मा बी जे पी
138 सोहागपुर विजयपाल सिंह बी जे पी
139 पिपरिया ठाकुरदास नागवंशी बी जे पी
140 उदयपुरा नरेंद्र शिवाजी पटेल बी जे पी
141 भोजपुर सुरेंद्र पटवा बी जे पी
142 सांची प्रभुराम चौधरी बी जे पी
143 सिलवानी देवेन्द्र पटेल कांग्रेस
144 विदिशा मुकेश टंडन बी जे पी
145 बासौदा हरिसिंह रघुवंशी बी जे पी
146 कुरवाई हरि सिंह सप्रे बी जे पी
147 सिरोंज उमाकान्त शर्मा बी जे पी
148 शमसाबाद सूर्य प्रकाश मीना बी जे पी
149 बैरसिया विष्णु खत्री बी जे पी
150 भोपाल उत्तर आरिफ अकील कांग्रेस
151 नरेला विश्वास सारंग बी जे पी
152 भोपाल दक्षिण-पश्चिम भगवान दास सबनानी बी जे पी
153 भोपाल मध्य आरिफ मसूद कांग्रेस
154 गोविंदपुरा कृष्णा गौर बी जे पी
155 हुजूर -रामेश्वर शर्मा बी जे पी
156 बुधनी शिवराज सिंह चौहान बी जे पी
15आस्टा गोपाल सिंह इंजीनियर बी जे पी
158 इच्छावर  करण सिंह वर्मा बी जे पी
159 सीहोर सुदेश राय बी जे पी
160 नरसिंहगढ़ मोहन शर्मा बी जे पी
161 ब्यावरा नारायण सिंह पँवार बी जे पी
162 राजगढ़ अमर सिंह यादव बी जे पी
163 खिलचीपुर हजारी लाल दांगी बी जे पी
164 सारंगपुर गौतम टेटवाल बी जे पी
165 सुसनेर भेरू सिंह बापू कांग्रेस
166 आगर माधव सिंह गेहलोत बी जे पी
167 शाजापुर अरुण भीमावत बी जे पी
168 शुजालपुर इंदर सिंह परमार बी जे पी
169 कालापीपल -घनश्याम चंद्रवंसी बी जे पी
170  सोनकच्छ राजेश सोनकर बी जे पी
171 देवास गायत्रीराजे पंवार बी जे पी
172 हाटपिपलिया मनोज चौधरी बी जे पी
173 खातेगांव आशीष गोविंद शर्मा बी जे पी
174 बागली मुरली भावरा बी जे पी
175 मंधाता नारायण पटेल बी जे पी
176 हरसूद कुँवर विजय शाह बी जे पी
177 खंडवा कंचन मुकेश तन्वे बी जे पी
178 पंधाना छाया मोरे बी जे पी
179 नेपानगर मंजू राजेंद्र दादू बी जे पी
180 बुरहानपुर अर्चना चिटनिस बी जे पी
181 भीकनगांव झूमा सोलंकी कांग्रेस
182 बड़वाह सचिन बिड़ला बी जे पी
183 महेश्वर राजकुमार मेव बी जे पी
184 कसरावद सचिन यादव कांग्रेस
185 खरगोन बालकृष्ण पाटीदार बी जे पी
186 भगवानपुरा केदार डावर कांग्रेस
187 सेंधवा मोंटू सोलंकी कांग्रेस
188 राजपुर बाला बच्चन कांग्रेस
189 पानसेमल श्याम बर्डे बी जे पी
190 बड़वानी राजन मंडलोई कांग्रेस
191 आलीराजपुर चौहान नागर सिंह बी जे पी
192 जोबट सेना पटेल कांग्रेस
193 झाबुआ विक्रांत भूरिया कांग्रेस
194 थांदला वीर सिंह भूरिया कांग्रेस
195 पेटलावद निर्मला दिलीपसिंह भूरिया बी जे पी
196 सरदारपुर प्रताप ग्रेवाल कांग्रेस
197 गंधवानी उमंग सिंगार कांग्रेस
198 कुक्षी बघेल सुरेंद्र सिंह हनी कांग्रेस
199 मनावर हीरालाल अलावा कांग्रेस
200 धरमपुरी कालू सिंह ठाकुर बी जे पी
201 धार नीना विक्रम वर्मा बी जे पी
202 बदनावर भंवरसिंह शेखावत कांग्रेस
203 देपालपुर मनोज पटेल बी जे पी
204 इंदौर-1 कैलाश विजयवर्गीय बी जे पी
205 इंदौर-2 रमेश मेंदोला बी जे पी
206 इंदौर-3 राकेश गोलू शुक्ला बी जे पी
207 इंदौर-4 मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ बी जे पी
208 इंदौर-5 महेंद्र हार्डिया बी जे पी
209 डॉ. अम्बेडकर नगर-महू उषा ठाकुर बी जे पी
210 राव मधु वर्मा बी जे पी
211 सांवेर तुलसीराम सिलावट बी जे पी
212 नागदा-खाचरौद तेजबहादुर सिंह बी जे पी
213 महिदपुर दिनेश जैन बॉस कांग्रेस
214 तराना महेश परमार कांग्रेस
215 घटिया -सतीश मालवीय बी जे पी
216 उज्जैन उत्तर अनिल कालूहेडा बी जे पी
217 उज्जैन दक्षिण मोहन यादव बी जे पी
218 बड़नगर जीतेन्द्र उदय सिंह पंड्या बी जे पी
219 रतलाम ग्रामीण मथुरालाल डावर बी जे पी
220 रतलाम शहर चेतन्य काश्यप बी जे पी
221 सैलाना कमलेश्वर डोडियार बी ए डी पी
222 जावरा राजेंद्र पांडे बी जे पी
223 बहुत चिंतामणि मालवीय बी जे पी
224 मंदसौर -विपिन जैन कांग्रेस
225 मल्हारगढ़ -जगदीश देवड़ा बी जे पी
226 सुवासरा हरदीप सिंह डंग बी जे पी
227 गरोठ चंदरसिंह सिसौदिया बी जे पी
228 मनसा अनिरुद्ध मारू बी जे पी
229 नीमच दिलीप सिंह परिहार बी जे पी
230 -जावद ओमप्रकाश सखलेचा बी जे पी

]]>
https://madhavexpress.com/?feed=rss2&p=30946 0