स्वास्थ्य – Madhavexpress https://madhavexpress.com Wed, 19 Feb 2025 09:56:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.2 https://madhavexpress.com/wp-content/uploads/2023/03/IMG-20221108-WA0038-removebg-preview-1.png स्वास्थ्य – Madhavexpress https://madhavexpress.com 32 32 https://madhavexpress.com/?p=51476 https://madhavexpress.com/?p=51476#respond Wed, 19 Feb 2025 09:56:19 +0000 https://madhavexpress.com/?p=51476  

आज के समय में बदलते लाइफ स्टाइल और अनहेल्दी डाइट कई बीमारियों की जड़ मानी जाती है। लोग काम के चक्कर में न समय से खा पाते हैं, ना हीं चैन से सो पाते हैं। साथ ही दिन का ज्यादातर समय स्क्रीन पर ही बिताते हैं, जैसे- मोबाइल, लैपटॉप या टेलीविजन। इन्हीं में एक है माइग्रेन की बीमारी, जिसे अधकपारी के नाम से भी जानते हैं। योगाचार्य महेश पाल बताते है कि माइग्रेन एक बहुत ही आम न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, माइग्रेन एक तरह का सिरदर्द होता है, जो आमतौर पर सिर के आधे हिस्से में होता है। यह मस्तिष्क में तंत्रिका तंत्र के विकारों के कारण होता है। इस बीमारी में अक्सर सिर में हल्का और तेज कष्टदाई दर्द होता है।लेकिन यह आम सिरदर्द से काफी अलग होता है। यह दर्द किसी भी समय हो सकता है, जिसे बर्दाश्त कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। माइग्रेन” ग्रीक शब्द “हेमिक्रेनिया” से लिया गया है, जिसे गैलेन ने 2000 ई. में दिया था। इस रोग से पूरे वैश्विक स्तर पर 14.4% और भारत में 17-18% लोग ग्रस्त है।और यह संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है माइग्रेन होने से पहले हमें कई लक्षण हमारे सामने नजर आते हैं जिसमें आंखो के आगे काला धब्बा दिखना, त्वचा में चुभन महसूस होना,कमजोरी लगना,आंखो के नीचे काले घेरे,ज्यादा गुस्सा आना, चिड़चिड़ापन होना,सिर के एक ही हिस्से में दर्द होना,प्रकाश और ध्वनी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ना आदि माइग्रेन रोग कई प्रकार के होता है, क्रोनिक माइग्रेन में हर महिने 15 दिन से ज्यादा समय तक दर्द शामिल होता है।पीरियड्स माइग्रेन यह माइग्रेन पीरियड्स के दौरान महसूस होता हैं। एब्डोमिनल माइग्रेन 14 साल के कम उम्र के बच्चों को होता है,जो आंत और पेट के अनियमित कार्य की वजह से हो सकता है।वेल्टिबुलर माइग्रेन में गंभीर चक्कर आते हैं।हेमिप्लेजिक माइग्रेन में शरीर के एक तरफ अस्थाई रूप से कमजोरी हो जाती है। माइग्रेन की समस्या से ग्रस्त होने के पीछे कई कारण सामने नजर आए है जिसमें शरीर हाइड्रेट नहीं रहना, ज्यादा चिंता करना, आवश्यकता से ज्यादा तनाव लेना, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव तेज प्रकाश, तेज ध्वनी,नींद में बदलाव करना,सिगरेट और शराब पीना, अवस्थित दैनिक दिनचर्या व आहारचर्या माइग्रेन की समस्या से बचाव में योग प्राणायाम महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और तंत्रिका तंत्र के विकारों को ठीक करने में मदद करता है मस्तिष्क में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है जिससे हम माइग्रेन की समस्या से बचाव करने मैं सक्षम बनते हैं, अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर में सांसों की क्रियाओं पर नियंत्रण करता है।अनुलोम विलोम प्राणायाम से शरीर के सभी अंगों में शुद्ध ऑक्सीजन का संचार होता है, खासतौर पर गर्दन और मस्तिष्क में। इससे माइग्रेन के अटैक या सिरदर्द की समस्या को काफी हद तक रोका जा सकता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास के लिए सर्वप्रथम सुखासन या पद्मासन में बैठ जाए बांयी नासिका से सांस ले दांयी नासिका से सांस छोड़ दें फिर दांयी नासिका से सांस ले और बांयी नासिका से सांस छोड़ दें इस प्रकार 5 से 10 मिनट तक यह अभ्यास दोहराते रहे,अगर हम माइग्रेन रोग का समय पर रोकथाम नहीं कर पाते हैं तो हमें कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जिसमें माइग्रेन शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित करता है, जिसके कारण हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। यह मानसिक तनाव का कारण भी बनता है, जिसके कारण व्यक्ति को डिप्रेशन चला जाता है। यदि ओकुलर माइग्रेन हो तो यह आपकी आखों को नुकसान पहुंचा सकता है, और आंखों में खून का बहाव कम हो सकता है।माइग्रेन में एंग्जायटी के कारण अनिद्रा की भी समस्या हो सकती है। इसलिए माइग्रेन वह अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से बचाव के लिए योग प्राणायाम प्रभावी चिकित्सा उपाय है इसको हमें हमारी दिनचर्या में अवश्य शामिल करना चाहिए जिससे हम विभिन्न प्रकार के रोगों से बचे रहे और स्वयं व अपने परिवार को योग ऊर्जा से ऊर्जावान बनाए रखें

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औषधीय पौधा है आक  https://madhavexpress.com/?p=49350 https://madhavexpress.com/?p=49350#respond Mon, 20 Jan 2025 10:06:59 +0000 https://madhavexpress.com/?p=49350 रमेश सर्राफ धमोराकुछ पेड़-पौधे ऐसे हैं जिनसे हम कई चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इन पेड़ों-पौधों में आक का पौधा भी है। आक एक औषधीय पौधा है। इसको मदार, आक, अर्क और अकौआ भी कहते हैं। इसे जानवर भी नहीं खाते है। यह बंजर भूमि में भी आसानी से उग आता है। इसके फल से गर्म तासीर की कोमल चिकनी रूई निकलती है। इसमें विषाक्त दूध भरा होता है। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिए पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद और छोटा होता है। फूल पर रंगीन चित्तियां होती हैं। फल आम की तरह होते हैं, जिनमें रूई निकलती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है। आक गर्मी के दिनों में रेतीली भूमि पर होता है। चाैमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।

दुर्गम रेतीले टीलों में जहां मीलों दूर तक पेड़ की छांव नसीब नहीं होती है, उन जगहों पर आक का पौधा खूब फलता फूलता है। राजस्थान के थार मरूस्थल के अलावा आक का पौधा दक्षिण मध्य भारत के गर्म और शुष्क वातावरण में खुले और समतल मैदानों में पाया जाता है। आक के पत्ते मोटे और चिकने होते हैं तथा पत्तों के पृष्ठ भाग पर हल्का सफेद आवरण होता हैं जो कि हाथ से रगड़ने पर उतर जाता हैं। आक का पौधा प्राय हर मौसम मे हरा भरा रहने के कारण यह रेगिस्तान का सदाबहार पौधा कहलाता है।

आक चार प्रकार के होते हैं (1) श्वेतार्क अर्थात सफेद आक (2) रक्तार्क व लाल आक (3) लाल आक का ही दूसरा प्रकार है जो ऊंचाई में सबसे छोटा और सबसे विषैला होता है (4) पर्वतीय आक। पहाड़ी आक पौधे के रूप में नहीं, बेल के रूप में होता है जो उत्तर भारत में बहुत कम किन्तु महाराष्ट्र में पर्याप्त मात्रा में होता है। लाल जाति का आक सर्वत्र सुलभता से प्राप्य है। गुणों की दृष्टि से औषध के रूप में दोनों प्रकार के आकों का प्रयोग होता है। दोनों में कुछ समान गुण भी मिलते हैं किन्तु श्वेत अर्क में अधिक उत्तम गुण होने से आयुर्वेद में यह वनस्पति दिव्य औषधि मानी जाती है। लाल आक इसके समान तो नहीं किन्तु यह भी गुणों का भंडार है। जितना लाभ इस पौधे से वैद्यों और भारतीय चिकित्सकों ने तथा रसायनशास्त्रियों ने पहले उठाया था उतना किसी द्वितीय औषध से नहीं उठाया ।

आक भारत का एक प्रसिद्ध पौधा है जो आयुर्वेद के शास्त्रों में जानी मानी औषधि है। जिसे छोटे-छोटे वैद्य तथा ग्रामीण अनपढ लोग भी जानते हैं और औषध रूप में प्रयोग भी करते हैं । भारत में आक के पौधे सब स्थानों पर मिलते हैं पर ऊंचे पर्वतों पर ये नहीं मिलते। आक का पौधा चार फीट से लेकर पन्द्रह फीट तक की ऊंचाई में देखने को मिलता है। यह ऊंची शुष्क मरुभूमि में अधिक होता है। ऊसर भूमि में उत्पन्न होने के कारण अरबी में इसको ऊसर कहते हैं। आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊंची भूमि में प्रायः सर्वत्र देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है। यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिताओं में भी इसकी गणना उपविषों में की गई है। यदि इसका सेवन अधिक मात्रा में कर लिया जाए तो, उल्टी दस्त होकर मनुष्य की मृत्यु हो सकती है। इसके विपरीत यदि आक का सेवन उचित मात्रा में, योग्य तरीके से चतुर वैद्य की निगरानी में किया जाये तो अनेक रोगों में इससे बड़ा उपकार होता है।

आक के पौधों का सबसे बड़ा फायदा है कि उनसे हमें ऑक्सीजन गैस प्राप्त होती है। इसके अलावा प्राकृतिक दृष्टिकोण से भी पेड़-पौधों का सर्वाधिक महत्व है। इनके बिना वातावरण को सन्तुलित किया ही नहीं जा सकता। हर परिस्थिति में हरियाली हमारे लिए फायदेमंद ही है। इन फायदों के साथ ही शास्त्रों के अनुसार कई धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व भी बताए गए हैं। ज्योतिष के अनुसार जिस घर के सामने या मुख्यद्वार के समीप आक का पौधा होता है उस घर पर कभी भी किसी नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके अलावा वहां रहने वाले लोगों को तांत्रिक बाधाएं कभी नहीं सताती। घर के आसपास सकारात्मक और पवित्र वातावरण बना रहता है जो कि हमें सुख-समृद्धि और धन प्रदान करता है। ऐसे लोगों पर महालक्ष्मी की विशेष कृपा रहती है और जहां-जहां से लोग कार्य करते हैं वहीं से इन्हें धन लाभ प्राप्त होता है।

आक का सूर्य से विशेष सम्बन्ध है। गर्मी में जब पृथ्वी सूर्य के निकट आ जाती है और सूर्य की भयंकर गर्मी से तपने और जलने लगती है, जोहड़, तालाब, बावड़ी सब का जल सूख जाता है। बड़ वृक्ष सूखने लगते हैं, तब यही पौधा है जो मरुभूमि में भी खूब फलता और फूलता है। यह आग्नेय प्रधान पौधा उस भयंकर उष्णकाल में खूब हरा भरा रहता है।

शास्त्रों अनुसार आक के फूल शिवलिंग पर चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। विद्वानों के अनुसार कुछ पुराने आकड़ों की जड़ में श्रीगणेश की प्रतिकृति निर्मित हो जाती है जो कि साधक को चमत्कारी लाभ प्रदान करती है। आक का हर अंग दवा है, हर भाग उपयोगी है। यह सूर्य के समान तीक्ष्ण तेजस्वी और पारे के समान उत्तम तथा दिव्य रसायनधर्मा है। कहीं-कहीं इसे वानस्पतिक पारद भी कहा गया है।

विषैला आक की जाति सबसे छोटी होती है अर्थात इसका जो पौधा ऊंचाई में सबसे छोटा होता है उसको विद्वान लोग सबसे विषैला मानते हैं। यह मरुभूमि में ही होता है। अधिक विषैले की पहचान यह है कि उस आक के पौधे का दूध निकालकर अपने नाखून पर उसकी दो-चार बूंदें टपकाएं। यदि दूध बहकर नीचे गिर जाए तो कम विष वाला है और यदि दूध वहीं अंगूठे के नाखून पर जम जाए तो अधिक विषैला है। अधिक विषैले दूध को सीधा खिलाने की औषधि में प्रयोग नहीं करना चाहिए, अन्य भस्म आदि औषध बनाने में इसका प्रयोग कर सकते हैं।

आक के फल देखने में अग्रभाग में तोते की चोंच के समान होते हैं। इसीलिए आक का एक नाम शुकफल है। ये फल ज्येष्ठ मास तक पक जाते हैं। इनके अंदर काले रंग के दाने वा बीज होते हैं और बहुत कोमल रूई से ये फल भरे रहते हैं। इसकी रूई भी विषैली होती है । फल का औषध में बहुत न्यून उपयोग होता है। क्षार बनाने वाले आक के पंचांग में फल को भी जलाकर औषध में उपयोग लेते हैं। चक्षु रोगों, कर्ण रोगों, जुकाम, खांसी, दमा, चर्मविकारों में, विष्मज्वर, वात और कफ के रोगों में इसके पुष्प, पत्ते, दूध, जड़ की छाल सभी का उपयोग होता है। इस पौधे के पत्ते को उल्टा कर के पैर के तलवे से सटा कर मोजा पहन लें। रात में सोते समय निकाल दें। एक सप्ताह में आपका शुगर सामान्य हो जाएगा। बाहर निकला पेट भी कम हो जाता है। काफी लोग इस उपयोग से लाभान्वित हो रहे हैं।

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निकिता दत्ता ने मुंबई मैराथन में 21 किमी की दौड़ लगाई, 2025 के लिए फिटनेस लक्ष्यों को प्रेरित किया  https://madhavexpress.com/?p=49282 https://madhavexpress.com/?p=49282#respond Mon, 20 Jan 2025 04:04:15 +0000 https://madhavexpress.com/?p=49282  

 

मुंबई 20 जनवरी को आयोजित प्रतिष्ठित मुंबई मैराथन 2025 की विद्युतीकरण ऊर्जा के साथ जीवंत हो गया। हजारों फिटनेस उत्साही धैर्य, लचीलापन और समुदाय की भावना का जश्न मनाने के लिए एकत्र हुए। उनमें से एक अभिनेत्री निकिता दत्ता थीं, जिन्होंने अपनी छठी मुंबई मैराथन पूरी करते हुए एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की।

 

स्वास्थ्य और फिटनेस के प्रति अपने समर्पण के लिए व्यापक रूप से प्रशंसित, निकिता ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में अपने जीवन में घटना के महत्व को प्रतिबिंबित किया और लिखाः

 

“यह दौड़ने का मेरा 10वां साल है! क्या मैं एक बार फिर बता सकता हूं कि @tatamummarathon को चलाना कितना अद्भुत लगता है?

 

यह तब होता है जब यह शहर वास्तव में जीवंत हो जाता है।

 

इस अनुष्ठान को करने के एक और वर्ष के लिए

 

21.097 किमी किया गया और धूल उड़ाई गई

 

#HalfMarathon #21km #TataMumbaiMarathon2025 #WeAreAllBornToRun “।

 

फिटनेस के लिए अपने जुनून के साथ मनोरंजन उद्योग में एक मांग वाले करियर को संतुलित करते हुए, निकिता ने लगातार अपने प्रशंसकों को शारीरिक और मानसिक कल्याण को प्राथमिकता देने के लिए प्रेरित किया है। अपने अनुशासित दृष्टिकोण के लिए जानी जाने वाली, वह योग से लेकर उच्च तीव्रता वाले वर्कआउट तक सब कुछ अपनी दिनचर्या में शामिल करती हैं। उनके लिए, दौड़ना व्यायाम से कहीं अधिक है-यह एक ध्यान का अनुभव है जो उन्हें जमीन से जुड़े रहने और ध्यान केंद्रित रखने में मदद करता है।

 

मुंबई मैराथन सिर्फ एक खेल आयोजन से कहीं अधिक हो गया है। यह आज की तेज गति, गतिहीन दुनिया में लगातार व्यायाम की परिवर्तनकारी शक्ति पर जोर देते हुए स्वास्थ्य जागरूकता और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने वाले एक मंच के रूप में कार्य करता है।

 

पेशेवर मोर्चे पर, निकिता दत्ता सैफ अली खान और जयदीप अहलावत के साथ अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म, ज्वेल थीफ की रिलीज के लिए तैयार हैं। रॉबी ग्रेवाल द्वारा निर्देशित और सिद्धार्थ आनंद के मारफ्लिक्स प्रोडक्शन द्वारा निर्मित, यह फिल्म इस साल के अंत में नेटफ्लिक्स पर प्रीमियर के लिए तैयार है।

 

बड़े पर्दे से लेकर मैराथन ट्रैक तक, निकिता दत्ता फिटनेस और उत्कृष्टता के प्रति अपने अटूट समर्पण से प्रेरित करती रहती हैं।

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बिहार सहित संपूर्ण भारत में संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति विस्तार से ब्राह्मणों को संगठित करेंगे / पंडित चतुर्वेदी https://madhavexpress.com/?p=47001 https://madhavexpress.com/?p=47001#respond Mon, 16 Dec 2024 10:51:02 +0000 https://madhavexpress.com/?p=47001

पटना ब्राह्मण महाकुंभ में पंडित चतुर्वेदी हुए सम्मानित

राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा द्वारा विद्यापति भवन पटना बिहार में आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ एवं संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय बैठक में संघर्ष समिति के राष्ट्रीय संरक्षक पंडित कृपा निधान तिवारी अयोध्या ,दरभंगा सांसद श्री गोपाल ठाकुर स्वास्थ्य मंत्री बिहार सरकार मंगल पांडे विधान परिषद सदस्य अशोक पांडे संत ऋषि भवेशा नंद महाराज आदि की उपस्थिति में देशभर से आए हुए ब्राह्मण संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि बिहार सहित संपूर्ण देश भर में संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति का तेजी से विस्तार कर ब्राह्मणों को एकजुट करेंगे संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति की राष्ट्रीय बैठक में पांच प्रमुख प्रस्ताव सर्वानुमति से पारित किए गए

जिसमें योग्यता आधारित पदों पर आरक्षण समाप्त हो, आरक्षण का आधार आर्थिक रखा जाए, तथा परशुराम जयंती का राष्ट्रीय अवकाश हो, समान नागरिक संहिता लागू हो, भगवान परशुराम का मंदिर राम जन्मभूमि अयोध्या में भव्य रूप से बनाया जाए तथा समान नागरिक संहिता लागू हो और सवर्ण आयोग का गठन किया जाए

उपरोक्त मांगों को लेकर देश भर में संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के माध्यम से जन जागरण कर ब्राह्मणों को संगठित किया जाएगा बैठक में  उपेंद्रनाथ त्रिपाठी वाराणसी राम तेज पांडे अयोध्या राधेश्याम शर्मा महेंद्र कुमार कौशिक नई दिल्ली, जय भगवान शर्मा, मुख्तार सिंह कौशिक हरियाणा ,सुखबीर सिंह गौतम उत्तराखंड ,सुरेश मूले महाराष्ट्र ,श्रीमती मंजू शुक्ला गोरखपुर उत्तर प्रदेश नानक चंद शर्मा हापुड़ उ. प्र. रघुनंदन पांडे, अर्जुन पांडे झारखंड संध्या दुबे सागर ,मध्य प्रदेश नीलम झा लखनऊ, सहित बड़ी संख्या में देश भर के कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए

राष्ट्रीय बैठक में गोरखपुर उ.प्र. की महिला नेत्री श्रीमती मंजू शुक्ला को महिला इकाई का राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया गया बैठक का संचालन संयुक्त ब्राह्मण संगठन समिति के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. उपेंद्रनाथ त्रिपाठी वाराणसी ने किया तथा आभार बैठक के संयोजक राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा बिहार के अध्यक्ष इंजीनियर आशुतोष कुमार झा ने माना उज्जैन से पं .चंद्रशेखर शर्मा, ईश्वरअग्निहोत्री ,सत्यनारायण शर्मा ,बी एस तंवर, प्रमुख रूप से शामिल हुए

 

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पटना बिहार में ब्राह्मण महाकुंभ का  पंडित चतुर्वेदी के साथ ब्राह्मण समाज का दल हुआ पटना बिहार हेतु रवाना  https://madhavexpress.com/?p=46793 https://madhavexpress.com/?p=46793#respond Fri, 13 Dec 2024 10:51:02 +0000 https://madhavexpress.com/?p=46793 पटना बिहार में ब्राह्मण महाकुंभ का  पंडित चतुर्वेदी के साथ ब्राह्मण समाज का दल हुआ रवाना

उज्जैन का ब्राह्मण महाकुंभ ब्राह्मणों की एकता का मॉडल बना  पं. चतुर्वेदी

UJJAIN/अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज एवं संयुक्त ब्राह्मण संगठन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी ने एक वक्तव्य में कहा कि अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज द्वारा उज्जैन में सन 2017-018 में उज्जैन में पहले 2 लाख ब्राह्मणों का महाकुंभ कर देश में ब्राह्मणों की एकता का बिगुल फुंका था उसी से प्रेरणा लेकर आज संपूर्ण देश भर में ब्राह्मणों की एकता के लिए जगह-जगह प्रत्येक प्रातों में ब्राह्मण एकता के लिए ब्राह्मण महाकुंभ आयोजित किये जा रहे हैं उज्जैन का आयोजित ब्राह्मण महाकुंभ ब्राह्मणों की एकता के लिए देश का मॉडल बन गया है आगामी 15 दिसंबर 024 को बिहार की क्रांतिकारी भूमि पटना में ब्राह्मण महासभा बिहार द्वारा पंडित आशुतोष झा के नेतृत्व में विद्यापति भवन पटना में संपूर्ण बिहार प्रांत का विशाल ब्राह्मण महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है

साथ ही संपूर्ण देश पर से संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय पदाधिकारी पहुंचकर संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी भाग लेंगे इस हेतु उज्जैन सहित संपूर्ण मध्य प्रदेश से पंडित चतुर्वेदी के साथ ब्राह्मण संस्थाओं के पदाधिकारी सर्व श्री चंद्रशेखर शर्मा, विवेक जोशी ,कमल तिवारी, ईश्वर दयाल अग्निहोत्री , सत्यनारायण शर्मा ,बी एस तंवर , संध्या दुबे, प्रफुल्ल दुबे, एस के दुबे , आशुतोष शर्मा सहित कई पदाधिकारी आज पटना बिहार के लिए रवाना हुए

अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज राष्ट्रीय महामंत्री पंडित तरुण उपाध्याय ने बताया कि देशभर की ब्राह्मण संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के भिन्न-भिन्न प्रांतों के पदाधिकारी संयुक्त ब्राह्मण संघर्ष समिति के बैनर तले एकत्रित होकर ब्राह्मणों की एकता पर विचार मंथन करेंगे पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी के नेतृत्व में उज्जैन और मध्य प्रदेश से ब्राह्मण समाज पदाधिकारी का दल आज उज्जैन से पटना के लिए रवाना हुआ ब्राह्मण समाज कार्यालय पर सभी पदाधिकारी का स्वागत अभिनंदन कर रवाना किया गया

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कुंदन सा दमके रुप चंदन से https://madhavexpress.com/?p=41464 https://madhavexpress.com/?p=41464#respond Wed, 04 Sep 2024 17:26:54 +0000 https://madhavexpress.com/?p=41464 फौजिया नसीम ‘शाद’

भारत में पाया जाने वाला चंदन एक सुगंधित पेड़ है, यही नहीं धार्मिक महत्व के कारण इसे पवित्र भी माना जाता है। चंदन एंटीसेप्टिक है वही सौन्दर्य सामग्री भी है जो रुप निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि घर पर बनाये जाने वाले फेस पैक में चंदन का प्रयोग किया जाता है। सुगंधित चंदन त्वचा संबंधी असंख्य समस्याओं का समाधान करने की क्षमता रखता है वहीं त्वचा की रंगत निखारने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

चंदन के लाभ
इसके नियमित प्रयोग से त्वचा नरम, मुलायम और आकर्षक बनती है।

इसका प्रयोग त्वचा को दाग-धब्बों रहित बनाता है।

इसके प्रयोग से त्वचा गोरी और आकर्षक बनती है।

इसका प्रयोग मुंहासों की समस्या का समाधान करता है।

फेस पैक में इसका प्रयोग त्वचा में कसाव और निखार लाता है।

त्वचा को ठंडक प्रदान करता है।

इसका प्रयोग चेहरे को चमकदार बनाता है।

इसका प्रयोग तैलीय त्वचा की समस्या का भी समाधान करता है।

चंदन के उपयोगी फेस पैक

धब्बेदार त्वचा के लिए चंदन पाउडर में नीबू के रस की चार बूंदे और गुलाब जल को मिक्स करके पतला लेप फेस पैक की भांति त्वचा पर लगायें, सूखने पर चेहरे को धोकर साफ कर लें, इसके प्रयोग से जहां धब्बेदार त्वचा की समस्या का समाधान होगा, वहीं त्वचा की रंगत में भी निखार आयेगा।

झुर्रियों के लिए चंदन पाउडर में शहद को मिक्स करके त्वचा पर सूखने तक लगायें, इसके प्रयोग से झुर्रियों की समस्या का समाधान होता है।

गोरी रंगत के लिए चंदन पाउडर में टमाटर के रस को मिक्स करके त्वचा पर लगायें, इसका प्रयोग त्वचा की रंगत को निखार कर उसे गोरा बनाता है।

चंदन पाउडर में ग्लिसरीन शहद और गुलाब जल मिलाकर त्वचा पर लगायें, इसके प्रयोग से त्वचा की रंगत में आश्चर्यजनक निखार आता है, वहीं त्वचा भी नरम और मुलायम बन जाती है।

मुंहासों युक्त त्वचा के लिए चंदन पाउडर में टमाटर और नीबू का रस मिक्स करके त्वचा पर लगभग पन्द्रह मिनट के लिये लगायें, तदुपरान्त त्वचा को धोकर साफ कर लें।

आकर्षक चमक के लिए गुलाब की पत्तियों को पीसकर उसमें चंदन पाउडर को मिक्स करके त्वचा पर फेस पैक की भांति लगाये, इसके प्रयोग से त्वचा में आकर्षक चमक के साथ रंगत में भी निखार आयेगा।

दाग-धब्बों युक्त त्वचा के लिए चंदन पाउडर में शहद मिक्स कर के त्वचा पर लगभग पन्द्रह मिनट के लिए लगा के रखें, इसका प्रयोग त्वचा को दाग-धब्बों रहित करके आकर्षक निखार प्रदान करेगा।

त्वचा के काले दाग-धब्बों के लिए उबटन में चंदन पाउडर और हल्दी को मिक्स करके प्रयोग करने से त्वचा के काले दाग धब्बों की समस्या के समाधान के साथ रंगत में भी निखार आ जाता है।

रंगत निखारने के लिए चंदन पाउडर में ऐलोवेरा के जूस को मिक्स करके त्वचा पर लगभग पन्द्रह मिनट के लिए लगायें, इसके प्रयोग से रंगत में आकर्षक निखार आता है।

फटी एडिय़ों के लिए फटी ऐडिय़ों पर नियमित रूप से चंदन के तेल की मसाज करने से समस्या का समाधान होता है।

काली गर्दन के लिए चंदन पाउडर में नीबू के रस की चंद बूंदे और गुलाब जल मिक्स करके पतला लेप फेस पैक की भांति त्वचा पर ब्रश की सहायता से लगायें, इसके प्रयोग से काली गर्दन की त्वचा भी चेहरे की त्वचा की भांति साफ हो जायेगी।

नरम-मुलायम त्वचा के लिए चंदन पाउडर में दूध मिक्स करके त्वचा पर सूखने तक लगायें, इसके प्रयोग से जहां त्वचा की रंगत में निखार आयेगा वहीं त्वचा नरम और मुलायम भी हो जायेगी।

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नियमित कसरत करने वाले पडते है कम बीमार https://madhavexpress.com/?p=40575 https://madhavexpress.com/?p=40575#respond Tue, 20 Aug 2024 08:59:09 +0000 https://madhavexpress.com/?p=40575 नई दिल्ली। जो लोग रोजाना कसरत करते हैं, वह दूसरों की अपेक्षा कम बीमार पड़ते है। कई लोग बिना कसरत के एक दिन भी नहीं रह पाते। नॉर्मल डेज में एक्सरसाइज करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है लेकिन बुखार या कमजोरी होने पर एक्‍ससाइज बॉडी पेन, स्‍ट्रेस और एंजाइटी को बढ़ा सकती है। बुखार के समय बॉडी कमजोर होती है, जिस वजह से चोट लगने का खतरा भी बढ़ जाता है। हेल्‍थ एक्‍सपर्ट या जिम ट्रेनर भी बुखार के समय आराम करने की सलाह देते हैं। चलिए जानते हैं बुखार के समय की गई कसरत बॉडी को कैसे नुकसान पहुंचा सकती है।बुखार या कमजोरी होने पर बॉडी की इम्‍यूनिटी काफी वीक होती है। जानकारी के अनुसार बुखार होने पर बॉडी का इम्‍यून सिस्‍टम काफी वीक हो जाता है, जिस वजह से बॉडी में कसरत करने का स्‍टैमिना नहीं होता। बुखार के दौरान जबरन की गई कसरत मसल्स को नुकसान पहुंचा सकती है। जिन लोगों को कसरत करने की आदत है, वे योग का सहारा ले सकते हैं।बुखार होने पर इंफेक्‍शन से लड़ने के लिए बॉडी इनर टेंपरेचर को बढ़ाने लगती है, जिस वजह से बॉडी टेंपरेचर हाई हो जाता है। ऐसे में यदि कसरत की जाए तो बॉडी टेंपरेचर में वृद्धि हो सकती है। कई बार अधिक टेंपरेचर होने से बुखार दिमाग में घर कर जाता है और ब्रेन संबंधी समस्‍याएं आ सकती हैं।कमजोरी और बुखार होने पर बॉडी काफी वीक हो जाती है। ऐसे में हार्ड कोर कसरत बॉडी में बचे हुए स्‍टैमिना को पूरी तरह से खत्‍म कर सकती है जो बॉडी के लिए खतरनाक हो सकता है। इससे चक्‍कर, उल्‍टी, पेट दर्द और बेहोशी जैसी स्थि‍ति हो सकती है। एक्सपर्ट की माने तो नियमित कसरत बॉडी को फिट रखने के साथ इम्‍यून सिस्‍टम को भी मजबूत बनाती। कुछ लोग बगैर कसरत के एक दिन भी नहीं रह पाते हैा सुदामा/ईएमएस 20 अगस्त 2024

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बैड कोलेस्ट्रॉल रक्त कोशिकाओं को कर देता ब्लॉक https://madhavexpress.com/?p=40571 https://madhavexpress.com/?p=40571#respond Tue, 20 Aug 2024 08:58:24 +0000 https://madhavexpress.com/?p=40571 नई दिल्ली । आजकल लाखों लोग हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या का सामना कर रहे हैं। कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है- गुड कोलेस्ट्रॉल और बैड कोलेस्ट्रॉल। गुड कोलेस्ट्रॉल को हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन कहा जाता है। यह हमारे ब्लड फ्लो और कोशिकाओं के निर्माण के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। वहीं, बैड कोलेस्ट्रॉल को लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कहा जाता है। इसे काफी खतरनाक माना जाता है। क्योंकि यह रक्त कोशिकाओं में जमने लगता है जिसके कारण ब्लड का फ्लो कम हो जाता है या बिल्कुल ही रुक जाता है जिस कारण आपको हार्ट डिजीज या स्ट्रोक की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बैड कोलेस्ट्रॉल दिल तक ब्लड और ऑक्सीजन पहुंचाने वाली रक्त कोशिकाओं को ब्लॉक कर देता है। ब्लड टेस्ट के जरिए आप खून में मौजूद कोलेस्ट्रॉल लेवल का पता लगा सकते हैं। ऐसे में अगर आपका कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई है तो इसके लिए जरूरी है कि आप डॉक्टर से संपर्क करें। आजकल मार्केट में कोलेस्ट्रॉल लेवल कर करने की कई दवाइयां उपलब्ध हैं, लेकिन दवाइयों के बिना भी आप नैचुरली हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकते हैं। हमारे आसपास कई तरह की चीजें मौजूद हैं जिनके सेवन से आप अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल कम कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको प्रोसेस्ड फूड और अधिक मात्रा में नमक और चीनी का सेवन बंद करना होगा। ओटमील, किडनी बीन्स, सेब और स्प्राउट्स ब्लड में कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करने में मदद करते हैं। डेयरी प्रोडक्ट्स से मिलने वाला व्हे प्रोटीन लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन और कुल कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर चीजें जैसे सैल्मन, अखरोट और अलसी भी हेल्दी हार्ट टिशू और रक्त वाहिकाओं के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। दोस्तों के साथ पार्टी करना और शराब पीना काफी कूल लगता है लेकिन अगर आपको अपनी सेहत का ख्याल रखना है तो शराब का सेवन बंद करना होगा। रिसर्चर्स का कहना है कि स्मोकिंग छोड़ने के एक साल के बाद लोगों में हार्ट डिजीज का खतरा आधा हो जाता है। इसकी शुरुआत करने के लिए आप सिगरेट की संख्या में कटौती करके कर सकते हैं। इसके अलावा आप इसके लिए डॉक्टर्स की भी मदद ले सकते हैं। अगर आप अपना कोलेस्ट्रॉल लेवल कम करना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आप कम से कम बैठें और दिनभर में अपनी फिजिकल एक्टिविटीज को बढ़ाएं। आप अपनी कोई भी फेवरेट एक्टिविटी कर सकते हैं जैसे स्वीमिंग, वॉकिंग, साइकिलिंग, डांस आदि। यह जरूरी है कि आप अपना अधिकतर समय बैठे-बैठे ना बिताएं। हर आधे घंटे में उठें और थोड़ा टहलें।

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मोबाइल फोन की रोशनी आंखों और रेटिना के लिए खतरनाक https://madhavexpress.com/?p=38929 https://madhavexpress.com/?p=38929#respond Sat, 27 Jul 2024 08:05:29 +0000 https://madhavexpress.com/?p=38929 नई दिल्ली । मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल आंखों के लिए कैसे खतरनाक है? और इसका इस्तेमाल करते समय हमें मोबाइल को आंखों से कितनी दूरी पर रखना चाहिए? विशेषज्ञ के मुताबिक, मोबाइल फोन का लगातार इस्तेमाल आंखों के लिए हानिकारक है। इन खतरों के बारे में पता होने के बावजूद, कई लोग अपने मोबाइल फोन पर ज्यादा समय बिताना जारी रखते हैं। यूजर्स अपने स्मार्टफोन पर गेमिंग से लेकर मूवी स्ट्रीमिंग तक कई तरह की गतिविधियों में लिप्त रहते हैं और इस प्रोसेस में अक्सर अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करते हैं। मोबाइल फोन से निकलने वाली रोशनी आंखों और रेटिना के लिए खतरनाक हो सकती है क्योंकि ये कॉर्निया और लेंस द्वारा फिल्टर नहीं की जाती है। इस स्थिति में आंखों में थकान, खुजली और सूखापन, धुंधला दिखाई देना और सिरदर्द जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये बात सामने आई है कि ज्यादातर यूजर्स अपने स्मार्टफोन को लगभग 8 इंच की दूरी पर रखते हैं, जो आंखों के लिए हानिकारक है। आप अपने मोबाइल फोन को जितना पास रखेंगे, आपकी आंखों को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचेगा। ऐसे में मोबाइल फोन को चेहरे से कम से कम 12 इंच या 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रखना चाहिए। स्मार्टफोन का लगातार इस्तेमाल करते समय थोड़ी-थोड़ी देर में पलकें झपकाना जरूरी है। समय-समय पर पलकें झपकाने से आंखों में नमी बनी रहेगी, जिससे आंखों में सूखापन और जलन नहीं होगी। इसके अलावा पलकें झपकाने से आपकी आंखों को फिर से फोकस करने में भी मदद मिलेगी। 15 मिनट में करीब 10-12 बार पलकें झपकाने की भी सलाह एक्सपर्ट्स द्वारा दी जाती है। बता दें कि आजकल लगभग हर हाथ में स्मार्टफोन देखने को मिल जाता है। स्मार्टफोन्स को इस्तेमाल लोग कई बार जरूरत से ज्यादा भी करने लगते हैं। ऐसे में आंखों पर इसका असर भी पड़ता है। ये जरूरत से ज्यादा खतरा बन गया है। लंबे समय तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है।

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डायबिटीज के मरीजों को खूब खाने चाहिए ‘जामुन’ https://madhavexpress.com/?p=38904 https://madhavexpress.com/?p=38904#respond Fri, 26 Jul 2024 18:13:00 +0000 https://madhavexpress.com/?p=38904 नई दिल्ली । हेल्थ एक्सपटर्स की माने तो डायबिटीज के मरीजों को खूब ‘जामुन’ खाने चाहिए। जामुन में विटामिन, फाइबर, मैगनीज और तमाम एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।आपको जानकर हैरानी होगी कि जामुन सबसे ज्यादा पौष्टिक फलों में से एक है। जामुन को खाने से आपके स्वास्थ्य को कई फायदे होते हैं। यह डायबिटीज ही नहीं बल्कि हार्ट, किडनी और ब्रेन के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। जामुन का मौसम चल रहा है और बाजार में आपको इस वक्त जगह-जगह जामुन देखने को मिल जाएंगे। अगर आप पूरी तरह फिट हैं, फिर भी जामुन खाने से आपको कई तरह के फायदे होंगे। एक्सपर्ट से जान लेते हैं कि डायबिटीज के मरीजों के लिए यह कितने फायदेमंद हैं।विशेषज्ञों के अनुसार जामुन पोषक तत्वों का खजाना होता है। जामुन में भरपूर मात्रा में विटामिन सी, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और अन्य पोषक तत्व होते हैं। डायबिटीज के रोगियों के लिए जामुन खाना बेहद फायदेमंद होता है। इसके अंदर मौजूद पिगमेंट डायबिटीज से होने वाली ऑक्सीडेटिव डैमेज को रोकते हैं। खास बात यह है कि जामुन में कार्बोहाइड्रेट और फ्रक्टोस की मात्रा कम होती है, जिसकी वजह से शुगर लेवल में बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं होती। डायबिटीज के मरीज इस मौसम में जामुन का खूब सेवन कर सकते हैं। इससे उनकी हेल्थ काफी बेहतर हो जाएगी। डायबिटीज के मरीजों में हार्ट डिजीज, कैंसर और आंतें खराब होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में जामुन का सेवन इस खतरे को कुछ हद तक कम कर सकता है। जामुन के अलावा स्ट्रॉबेरी, ब्रॉकली, गाजर और अन्य फल भी डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होते हैं। जामुन खाने से हार्ट डिजीज और किडनी की डिजीज में भी राहत मिलती है। इसके अलावा जामुन से ब्रेन हेल्थ में भी सुधार होता है। विशेषज्ञों के अनुसार आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए 6 रसों का वर्णन किया गया है। इनमें मधुर रस, अम्ल रस, लवण, कटु, पित्त और कसाय रस हैं। ये सभी खाने की विभिन्न चीजों में पाए जाते हैं। जामुन को आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद बताया गया है। जामुन के अलावा इसकी गुठलियों का चूर्ण बनाकर खाने से एक घंटा पहले या एक घंटा बाद लेने से डायबिटीज में फायदा होता है। इसके अलावा आंवला भी ब्लड शुगर के लिए फायदेमंद बताया गया है।डायबिटीज के मरीजों के लिए कसाय रस का सेवन फायदेमंद होता है। जामुन कसाय रस वाला फल है, जिसे खाने से शरीर में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है।

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