हरदा । आगामी विधानसभा निर्वाचन को ध्यान में रखते हुए आगामी दिनों में मतदाता जागरूकता “स्वीप” गतिविधियां आयोजित की जायेंगी। इसके तहत ईवीएम और वीवीपेट मशीन गांव-गांव में ले जाकर ग्रामीणों को मशीन संचालन के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्वीप गतिविधियों के लिये ईवीएम और वीवीपेट मशीन कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित जिला निर्वाचन कार्यालय के वेयरहाउस से शुक्रवार को राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के समक्ष निकाली गईं। इस अवसर पर जिला निर्वाचन अधिकारी एवं कलेक्टर ऋषि गर्ग, उप जिला निर्वाचन अधिकारी डी.के. सिंह और कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा श्रीमती प्रियंका मेहरा सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे। इससे पूर्व कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में शुक्रवार को आयोजित बैठक मे कलेक्टर ऋषि गर्ग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्यक्रम के बारे में बताया। उन्होंने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मतदान केंद्रवार बूथ लेवल एजेंट नियुक्ति के संबंध में जानकारी ली।
]]>मध्यप्रदेश की धरती ने राजनीतिक पटल पर मानवता, न्याय, अपनत्व, करुणा और संवेदनाओं से भरा राजधर्म का नया अध्याय लिखा है। एक राजा का कर्तव्य क्या होता है, कैसे राज्य में शांति की स्थापना होती है, कैसे अपराधी को दंड दिया जाता है, कैसे दंभ भरे फनों को कुचलकर मानवता की रक्षा होती है। संकट के समय आम जनमानस को कैसे आपदा से बाहर निकाला जाता है। राज्य की प्रजा के बीच आत्मविश्वास और धैर्य के साथ कैसे सामाजिक समरसता की नींव को मजबूत किया जाता है। कैसे शोषित व पीड़ित को न्याय देकर उसके सम्मान और स्वाभिमान को स्थापित किया जाता है। इन सभी प्रश्नों के उत्तर की साक्षी बनी है मध्यप्रदेश की पवित्र भूमि और प्रदेश की साढ़े 8 करोड़ जनता, जिसका नेतृत्व कर रहे हैं संवेदनशील मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान।
जब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस अपने राजनीतिक फायदे के लिए सीधी के जनजाति दशमत रावत के साथ हुई अमानवीय घटना को राजनीतिक मुद्दा बनाने में लगा था, ठीक उसके उलट प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान उसी दशमत के चरण पखार कर, जल को माथे से लगा रहे थे, जैसे भगवान कृष्ण ने सुदामा के लिए अपनी द्वारिका के दरवाजे खोल दिए थे वैसे ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दशमत के लिए अपने ह्रदय की संवेदनाओं को उमेड़ दिया था मानो भगवान कृष्ण और सुदामा का मिलन हो रहा हो।
मुख्यमंत्री निवास में दशमत का स्वागत, सत्कार करते हुए शिवराज सिंह ने कहा कि मैं कोई भगवान कृष्ण जैसा नहीं हूं लेकिन मुझे लगा मेरा भाई आया है तो मैं प्रेम से उसे गले लगाऊं और उसे सम्मान देने की कोशिश करूं यही सहज भाव मेरे मन में था। मेरे लिए दरिद्र ही नारायण है और जनता ही भगवान है। जनता की सेवा हमारे लिए भगवान की पूजा है और हम यह मानते हैं कि हर इंसान में ही भगवान निवास करता है। भाई दशमत के साथ अन्याय हुआ मेरा मन दर्द, पीड़ा और व्यथा से भर गया। मैं अंतरात्मा से मानता हूं गरीब ही हमारे लिए पूज्य है और उसका अपमान मतलब हम सबका अपमान है। मन की व्यथा और पीड़ा कम करने के लिए मैंने आज दशमत को यहां बुलाया मैंने दशमत के पैर धोए, पानी माथे से लगाया। ताकि मेरी व्यथा और दर्द कम हो सके। मन में जो पीड़ा थी उस पीड़ा को मैं कम कर सकूं। एक तरफ जो अपराध करता है, उसका कोई धर्म,कोई जाति नहीं होती। इसलिए जिसने अन्याय किया उसको कड़ी सजा और जिसके साथ अन्याय हुआ उसको कलेजे से लगाकर उसकी पीड़ा भी कम करने की कोशिश की है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्षी कांग्रेस पर कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाए बल्कि मानवता, करुणा और न्याय के सहारे अपने मूल कर्तव्य से दुनिया के राजनीतिक पटल पर राजधर्म की नई रेखा खींचने का काम किया है। जबकि ये वही कांग्रेस है जिसके राज में 9 अगस्त 2019 को घटित ,अलीराजपुर जिले के नानपुर थाना पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए पांच नाबालिग आदिवासियों को पानी मांगने पर पेशाब पिला दिया था, ये वहीं कांग्रेस जो सीधी की अमानवीय घटना पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने का प्रयास करने में लगी रही थी।
शिवराज सिंह चौहान की संवेदनशीलता का ही परिणाम है की एक तरफ अमानवीय घटना के आरोपी को तत्काल गिरफ्तार कर SC/ST ऐक्ट एवं एनएसए के तहत कार्रवाई की गई। तो वहीं पीढ़ित दशमत को उसका सम्मान और स्वाभिमान देने के लिए मुख्यमंत्री खुद माफी मांग रहे थे। सीएम शिवराज की संवेदनशीलता का ये कोई पहला उद्धारण नहीं है जब जब प्रदेश में प्राकृतिक आपदा आई हो या कोई अन्य घटना, जनता ने सीएम शिवराज को अपने बीच पाया है।
भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही धर्मानुकूल आचरण करने वाले राजाओं ने नीतिशास्त्र के अनुकूल राज्यव्यवस्था चलाने का कार्य किया है। हमें गर्व है की मध्यप्रदेश का राजा एक ऐसा व्यक्ति है जो स्वयं को जनता का सेवक मानकर अपने राजधर्म का पालन करता है। जिसे स्वयं के सुख से पहले जनता का सुख दिखाई देता है, जो जनता के सुख-दुख को अपना सुख-दुख मानता है और अविरल नदी की धारा की तरह जनसेवा के कार्यों को ही अपने जीवन का लक्ष्य मानता है। जिसने सत्ता को साध्य नहीं साधन बनाया है गरीबों के कल्याण का। जो अंत्योदय के मंत्र को चरितार्थ कर रहा है, जिनका मंत्र है जनता मेरी भगवान और मैं उसका पुजारी हूँ।
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